

नई दिल्ली - भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर पर बीती शाम सहमति बन गई, जब दोनों देशों के DGMO (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) ने बातचीत करके इसे मंजूरी दे दी। हालांकि, सीजफायर की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान के मंत्री फिर से इसे टूटने की धमकी देने लगे हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने चेतावनी दी है कि यदि भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के विवाद का समाधान नहीं होता, तो यह सीजफायर ज्यादा देर तक नहीं टिकेगा।
इशाक डार का बयान
पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से इशाक डार ने कहा कि "अगर पानी के बंटवारे पर कोई समझौता नहीं हुआ तो यह 'एक्ट ऑफ वॉर' माना जाएगा। साथ ही उन्होंने कश्मीर के मुद्दे को इस पूरी लड़ाई की जड़ बताया है।
पहलगाम हमले के बाद रद हुई संधि
सिंधु और अन्य सहायक नदियों के पानी का बंटवारा हमेशा से भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का कारण रहा है। पहलगाम हमले के बाद भारत ने 1960 के सिंधु जल समझौते को समाप्त कर दिया था। इसके बाद, पानी का मुद्दा फिर से दोनों देशों के बीच तनाव का कारण बन गया है।
क्या थी सिंधु जल संधि ?
1960 में हुए सिंधु जल समझौते के तहत पाकिस्तान को सिंधु, चिनाब और झेलम नदियों का पानी मिलता था, जबकि भारत को रावी, व्यास और सतलज नदियों का पानी मिल रहा था। हालांकि, 22 अप्रैल को पुलवामा हमले के बाद भारत ने इस समझौते को रद्द कर दिया। 12 मई को दोनों देशों ने सीजफायर के तहत एक-दूसरे पर हमले न करने पर सहमति जताई, लेकिन इसमें सिंधु जल समझौते का कोई उल्लेख नहीं किया गया है।
पाकिस्तान को सता रहा है डर
सिंधु जल समझौते को रद्द किए जाने के बाद, पाकिस्तान को यह चिंता सता रही है कि भारत सिंधु, चिनाब और झेलम नदियों पर बांध बनाकर पानी के बहाव को प्रभावित कर सकता है। पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांत पूरी तरह से सिंधु नदी के पानी पर निर्भर हैं, और अगर भारत पानी का कुछ हिस्सा रोकने या उसका बहाव बदलने में सफल होता है, तो इससे पाकिस्तान को भारी नुकसान हो सकता है।