

निधि, सन्मार्ग संवाददाता
नदिया : राज्य में मतदाता सूची के विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (SIR) अभियान के माहौल के बीच, नादिया जिले के शांतिपुर थानांतर्गत उदयपुर इलाके में राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 12 (NH-12) के किनारे एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है। कूड़े के ढेर में रखी बोरियों से बड़ी संख्या में वोटर कार्ड बरामद किए गए हैं, जिससे इलाके में तीव्र सनसनी फैल गई है और चुनावी प्रक्रिया की सुरक्षा तथा पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
बुधवार की सुबह, स्थानीय लोगों ने NH-12 के किनारे पड़े कूड़े के ढेर में कुछ संदिग्ध बोरियां देखीं। जिज्ञासावश जब इन बोरियों को खोला गया, तो अंदर लगभग 400 से 500 वोटर कार्ड पाए गए, जिसके बाद पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। स्थानीय लोगों ने तुरंत शांतिपुर थाने को इसकी सूचना दी।
सूचना मिलते ही शांतिपुर थाने की पुलिस टीम तत्काल मौके पर पहुंची और बरामद हुए सभी वोटर कार्डों को अपने कब्जे में ले लिया।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, शुरुआती जाँच में यह पता चला है कि बरामद हुए ये सभी वोटर कार्ड उत्तर 24 परगना जिले के निवासियों से संबंधित हैं। इन कार्डों का नादिया जिले में, विशेषकर एक प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे कूड़े के ढेर में मिलना, एक बड़ा रहस्य बन गया है।
पुलिस अब इस बात की गहन जांच कर रही है कि उत्तर 24 परगना के ये संवेदनशील दस्तावेज इतनी बड़ी संख्या में नादिया तक कैसे पहुंचे। साथ ही, जांच टीम इस पहलू पर भी काम कर रही है कि इन बोरियों को रात के अंधेरे में किसने और किस मकसद से सड़क किनारे फेंका। पुलिस इन कार्डों पर सूचीबद्ध मतदाताओं से संपर्क साधने का प्रयास भी कर रही है ताकि वे किसी महत्वपूर्ण जानकारी का खुलासा कर सकें।
यह घटना इसलिए भी अधिक विवादास्पद हो गई है क्योंकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अगले ही दिन, यानी गुरुवार को नादिया जिले के दौरे पर जाने वाली हैं। उनका काफिला भी इसी राष्ट्रीय राजमार्ग-12 से होकर गुजरने वाला है। मुख्यमंत्री के दौरे से ठीक पहले, एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सड़क के किनारे इस तरह संवेदनशील चुनावी सामग्री का मिलना राज्य की प्रशासनिक और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है।
SIR अभियान के दौरान राज्य के विभिन्न हिस्सों से पहले भी वोटर कार्ड और आधार कार्ड जैसे महत्वपूर्ण पहचान पत्र बरामद किए जा चुके हैं, जो चुनावी सुरक्षा मानकों के गंभीर उल्लंघन की ओर इशारा करता है। इस नवीनतम घटना ने विपक्षी दलों को भी सत्तारूढ़ पार्टी और चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर निशाना साधने का मौका दे दिया है।