

सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : हाई कोर्ट के जस्टिस अरिजीत बनर्जी, जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्या और जस्टिस राजर्षि भारद्वाज के लार्जर बेंच ने तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष सहित आठ लोगों के खिलाफ कंटेंप्ट का रूल जारी किया है। लार्जर बेंच ने दो मई को इन आठ लोगों को आदेश दिया था कि वे एफिडेविट दाखिल करके उनके खिलाफ लगे आरोपों का जवाब दें। सोमवार को इस मामले की सुनवायी के मौके पर किसी ने जवाब नहीं दिया। इसके बाद ही लार्जर बेंच ने कंटेंप्ट का रूल जारी कर दिया। अब उन्हें 12 जून को एफिडेविट के साथ इसका जवाब देना पड़ेगा।
मामले की सुनवायी के दौरान कुणाल घोष ने व्यक्तिगत रूप से अपनी बात कहने के लिए दो मिनट का समय देेने की अपील की तो जस्टिस बनर्जी ने कहा कि अपने एडवोकेट से कहे। इसके साथ ही जस्टिस बनर्जी ने कहा कि हम जेल तो अभी भेज नहीं रहे हैं, एफिडेविट दाखिल करके जवाब दे। यहां गौरतलब है कि फिजिकल और वर्क एडुकेशन के टीचरों की नियुक्ति के मामले को लेकर जस्टिस विश्वजीत बसु के खिलाफ अशालीन टिप्पणी करते हुए एडवोकेट विकास रंजन भट्टाचार्या और एडवोकेट फिरदौश शमीम के साथ बदसुलूकी की गई थी। एडवोकेट अमृता पांडे ने यह जानकारी देते हुए बताया कि बार के कुछ सदस्यों ने चीफ जस्टिस टी एस शिवंगनम के समक्ष इसे मेंशन किया तो उन्होंने सुओमोटो मामला दायर करने के साथ ही इसकी सुनवायी के लिए इस लार्जर बेंच का गठन कर दिया था। पिछली सुनवायी में लार्जर बेंच ने इस मामले में कोलकाता पुलिस के सीपी को रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था। सोमवार को यह दाखिल की गई। कुणाल घोष के तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट की दलील थी कि उन्हें सीपी के रिपोर्ट की कापी कल देर शाम को मिली थी इसलिए एफिडेविट दाखिल नहीं कर पाए। एडवोकेटों की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट पार्थसारथी सेनगुप्त की दलील थी कि कंटेंप्ट का रूल जारी किया जाए तभी सभी जवाब देंगे। उन्होंने कहा कि सीपी की रिपोर्ट पूरी तरह वोगस है। कहां घटना घटी थी, कब घटी थी इस रिपोर्ट में इसका कोई जिक्र नहीं है। इसमें यह भी नहीं कहा गया है कि उन्होंने किसी से पूछताछ की है या नहीं। एडवोकेट रिजू घोषाल की दलील थी इस घटना से कुणाल घोष का लिंक है। जस्टिस बनर्जी ने आदेश दिया कि रिपोर्ट की कापी सभी एडवोकेटों को दी जाए। लार्जर बेंच ने कहा कि इस मामले के बाकी 16 कंटेमनरों के मामले में अगली सुनवायी में फैसला लिया जाएगा।
कोलकाता : मामले की सुनवायी के बाद कुणाल घोष ने मीडिया से कहा कि जिस समय यह घटना घटी थी उस समय वे न्यूटाउन में थे। उनका इस घटना से कोई लेना देना नहीं है। वे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा करते हैं। उन्होंने कहा कि दरअसल कांग्रेस, माकपा और भाजपा को उनका नाम इस घटना से जोड़े जाने से राहत मिली है। उन्हें लगता है कि इससे उन्हें कुछ पोलिटिकल माइलेज मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि उन्हें न्याय मिलने की आशा है।