
कोलकाता : कभी-कभी हमारे सीने में जब हल्का दर्द होता है तो डॉक्टर आपको ईसीजी कराने की सलाह देते हैं। यूं तो हृदय रोग में सीने का दर्द पहला लक्षण माना जाता है और ईसीजी उसे जांचने का सबसे आसान और बेसिक तरीका है लेकिन यह जानना जरूरी है कि ईसीजी क्यों कराना चाहिए और इसके परिणामों का क्या मतलब होता है।
कब जरूरी है ईसीजी?
यदि किसी को सीने में दर्द, सांस लेेने में तकलीफ, चक्कर, बेहोशी या धकधकी सी महसूस हो रही हो तो डॉक्टर ईसीजी कराने की सलाह देते हैं। हालांकि हृदय से जुड़े अधिकांश मामलों की पहचान ईसीजी के जरिए हो जाती है लेकिन अनियमित धड़कनों, ऐंजाइन की स्थिति में ईसीजी की रीडिंग्स पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। जब धड़कनों की दर नापनी हो तो उसके लिए स्ट्रेस टेस्ट किया जाता है जिसमें रोगी को ट्रेडमिल पर चलने को कहा जाता है और फिर रीडिंग ली जाती है। ईसीजी मशीन के साथ रोगी को जोड़ दिया जाता है, जिसमें मशीन लगातार धड़कनों की गति की रीडिंग लेती रहती है, जब व्यक्ति अपने रोजाना के कार्यों को करता है।