

नई दिल्ली - विनीता सिंह को ता आप सभी जानते ही होंगे। आपने विनीता को शार्क टैंक नामक शो पर देखा होगा। विनीता शार्क टैंक शो में इन्वेस्टर थी। इसके साथ ही वह शुगर कॉस्मेटिक्स नामक कंपनी की सीईओ भी हैं।
विनीता ने सोशल मीडिया पर एक पोस्त करते हुए सबके साथ एक बात शेयर की है। यह उनके एक स्टोर को लेकर है। विनीता बताती हैं कि वह काफी चिंतित थी कि मुंबई स्थित कोलाबा कॉजवे वाले उनके स्टोर पर लोग कैसे आऐंगे। यह इस वजह से क्योंकि उनके स्टोर के आगे कई छोटे विक्रेता कई अन्य तरह के सामान बेचते हैं। उन्हें यह चिंता थी कि अगर लोग इन विक्रेताओं की वजह से उनके स्टोर को देख ही नहीं पाऐंगे तो अंदर आऐंगे कैसे ?
सबसे अच्छा प्रदर्शन कर रहा था उनका यह स्टोर
विनीता ने बताया कि उनकी टीम और वो खुद इस स्टोर पर 10 महीनों से नजर बनाए हुए थे। इस स्टोर की प्रगति ने सबको चौका कर रख दिया। आखिरी 12 महीनों में इस स्टोर से सबसे ज्यादा खरिदारी की गई थी। उन्होंने जैसा सोचा था हो ठीक उसका उलटा रहा था। इस वजह से विनीता ने खुद स्टोर पर जाकर इस बात के पीछे की वजह जानने की कोशिश की।
वहां जाकर चौक गई विनीता
विनीता ने बताया कि वहां जाकर उन्हें पता चला कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कोलाबा में ग्राहकों का सबसे तेजी से बढ़ता समूह अरब महिलाएं हैं जो चिकित्सा पर्यटन के लिए मुंबई आती हैं। इन सभी महिलाओं को भारतीय मेकअप पसंद है क्योंकि उनके पास भी भारतीय महिलाओं की तरह अंडरटोन त्वचा हैं और उन्हें ऐसे उत्पादों की आवश्यकता होती है जो गर्म मौसम के अनुकूल हों।
फल वाले ने किया था असली कमाल
यह सभी महिलाएं विनीता के स्टोर के पास एक फल के स्टाल से फल खरिदती थी। ज्यादातर महिलाएं उसी स्टाल से इसलिए फल खरिदती थी क्योंकि फल बेचने वाले व्यकित को अरबी बोलने आती थी। यह उन्हीं स्टाल में से एक था जिसकी वजह से विनीता परेशान रहती थी।असल में जब भी कोई औरत उस स्टाल से फल लेने आती थी तो दुकानदार उनसे पूछा करता था कि क्या उन्हें "कहाल अल हिंदी" चाहिए ? इसका अर्थ होता है कि क्या उन्हें "भारतीय काजल चाहिए ?"
ज्यादातर औरतों को फल वाला कुछ लेने के लिए मना लेता था और सामने ही शुगर कॉस्मेटिक्स का स्टोर देखकर महिलाएं स्टाेर में चली भी जाती थी। महिलाएं एक-एक करके सभी सौंदर्य उत्पादों का उपयोग करके देखती और 10 से 15 उत्पादों को लेने का फैसला कर लेती थी। ऐसा इस वजह से क्योंकि उन्हें भारत वापस आने की उम्मीद काफी कम होती थी। इस वजह से वह एक बार में ही ज्यादा से ज्यादा उत्पादों को खरिदती थी। इसी कारण से उनका वह स्टोर सबसे बेहतर प्रदर्शन कर रहा था।
स्टोर में काम करने वाली लड़की भी करती थी फल वाले की मदद
आपको बता दें कि यह सब एकतरफा नहीं होता था। स्टोर में काम करने वाली एक लड़की मेघा फल वाले और उसके बेटे सूरज से रोज अरबी सीखती थी और जब भी कोई स्टोर के अंदर आता था तो उन्हें अरबी में भारतीय फल खरीदने का निवेदन किया करती है। इस तरह कई लोग बाहर निकल कर फल वाले से फल भी खरीद लिया करती थी और इसी तरह यहां स्टोर और फल के स्टाल दोनों का भला हो जाता था।
क्या कहा विनीता ने ?
विनीता कहती हैं कि भारत सचमुच उद्यमियों का देश है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह भारत के लोग ही हैं जो सबसे बड़ा अंतर लाते हैं - और कभी-कभी ऐसे लोग भी जो सिस्टम से संबंधित भी नहीं होते हैं, कभी-कभी स्वेच्छा से या अनिच्छा से।