द्वीप समूह में ऐतिहासिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण विरासत स्थल हैं : मुख्य सचिव

‘विश्व धरोहर नामांकन डोजियर’ की तैयारी पर कार्यशाला का उद्घाटन
द्वीप समूह में ऐतिहासिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण विरासत स्थल हैं : मुख्य सचिव
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सन्मार्ग संवाददाता

श्री विजयपुरम : यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची में अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह के स्थलों को शामिल करने के लिए ‘विश्व धरोहर नामांकन डोजियर’ की तैयारी के लिए मार्गदर्शन पर एक कार्यशाला यहां आपदा प्रबंधन विभाग के सम्मेलन कक्ष में आयोजित की गई। कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यशाला का उद्घाटन अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह के मुख्य सचिव डॉ. चंद्र भूषण कुमार ने एडीजी, एएसआई, जाहान्वी शर्मा, अंडमान एवं निकोबार प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों, इतिहासकारों और विभिन्न समुदायों के सदस्यों तथा अन्य की उपस्थिति में पारंपरिक रूप से दीप प्रज्ज्वलित करके किया। कार्यशाला के डोमेन विशेषज्ञों में डॉ. कस्तूरी चक्रवर्ती, निदेशक (ईआर), भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, डॉ. शिखा जैन, अध्यक्ष, द्रोण फाउंडेशन और डॉ. सोनाली घोष, आईएफएस शामिल थे। अपने आरंभिक वक्तव्य में मुख्य सचिव ने इन द्वीपों का दौरा करने तथा विश्व धरोहर नामांकन डोजियर की तैयारी के लिए आगे बढ़ने के बारे में अंडमान एवं निकोबार प्रशासन को मार्गदर्शन देने के लिए डोमेन विशेषज्ञों को धन्यवाद दिया। मुख्य सचिव ने कहा कि अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में ऐतिहासिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण विरासत स्थल हैं।

मुख्य सचिव डॉ. चंद्र भूषण कुमार ने कहा कि यह कार्यशाला हमारी टीम को समयबद्ध तरीके से हमारे विरासत स्थलों के उचित दस्तावेजीकरण की बारीकियों को समझने में मदद करेगी। उन्होंने इस अवसर पर 'अपनी विरासत को जानें' शीर्षक से एक विवरणिका का विमोचन भी किया। अपने संबोधन में कला एवं संस्कृति सचिव ज्योति कुमारी ने कार्यशाला में डोमेन विशेषज्ञों एवं अन्य का हार्दिक स्वागत किया तथा कहा कि यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के नामांकन का विचार मुख्य सचिव द्वारा नानकॉरी द्वीप समूह तथा कामोर्टा के प्राकृतिक बंदरगाह को यूनेस्को विश्व धरोहर श्रेणी में प्राकृतिक धरोहर के रूप में नामित करने से शुरू हुआ था। अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में दो स्थल हैं जो पहले से ही अस्थायी सूची में हैं अर्थात सेलुलर जेल और नारकोंडम द्वीप। कार्यशाला का उद्देश्य इन दो स्थलों और अन्य चार स्थलों के लिए नामांकन डोजियर का आकलन करना है, जिन्हें अंडमान और निकोबार प्रशासन ने इस वर्ष यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की अनंतिम सूची में सूचीबद्ध करने के लिए भेजा है और वे हैं सरकारी आरा मिल, चैथम द्वीप, बाराटांग की कार्स्ट संरचना, नानकॉरी द्वीप समूह में निकोबारी जनजातीय संस्कृति निरंतरता और बैरन द्वीप में सक्रिय ज्वालामुखी। इन अनंतिम सूची प्रस्तावों को प्रस्तुत करने पर प्रशासन को महानिदेशक, एएसआई से उन स्थलों के लिए प्रारंभिक मूल्यांकन और नामांकन डोजियर प्रस्तुत करने के लिए पत्र भी प्राप्त हुआ, जिन्हें पहले से ही अंतिम सूची में सूचीबद्ध किया गया है। उन्होंने कहा कि अब अंडमान और निकोबार प्रशासन ईओआई जारी करने और नामांकन डोजियर की तैयारी के साथ आगे बढ़ने की प्रक्रिया में है। 

एडीजी ने भावी पीढ़ियों के लिए भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए एएसआई की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। एडीजी ने स्मारकों को क्षरण और पर्यावरणीय क्षति से बचाने के लिए एएसआई के संरक्षण प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सेलुलर जेल और नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप की यात्रा ने विश्व धरोहर स्थलों के लिए कुछ नामांकन प्रस्तावित करने के मामले में केंद्र शासित प्रदेश की क्षमता की एक झलक प्रदान की है। तकनीकी सत्र में, डॉ. शिखा जैन, निदेशक और अध्यक्ष, द्रोण फाउंडेशन ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से विश्व धरोहर नामांकन डोजियर की तैयारी के बारे में विस्तृत जानकारी दी। डॉ. सोनाली घोष ने यूनेस्को विश्व धरोहर श्रेणी के तहत प्राकृतिक विरासत स्थलों को सूचीबद्ध करने के मानदंडों और प्रक्रिया पर उपस्थित लोगों को जानकारी दी। डॉ. कस्तूरी चक्रवर्ती, निदेशक, ईआर, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के भूवैज्ञानिक विकास के परिप्रेक्ष्य में अंडमान में स्थलों के भूवैज्ञानिक महत्व पर बात की। इसके बाद प्रत्येक समूह द्वारा निष्कर्षों पर प्रस्तुतियां दी गईं तथा इसे आगे बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया।

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