
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : हाई कोर्ट के जस्टिस तपब्रत चक्रवर्ती और जस्टिस ऋतब्रत कुमार मित्रा के डिविजन बेंच ने सिट की जांच पर स्टे लगाने से फिलहाल इनकार कर दिया। राज्य सरकार की तरफ से यह अपील दायर की गई थी। जस्टिस तीर्थंकर घोष ने पुलिस हिरासत में डीएसओ की नेता सुश्रिता सोरेन सहित चार महिलाओं के उत्पीड़न की जांच के लिए सिट के गठन का आदेश दिया था। आईपीएस मुरलीधर की अध्यक्षता में सिट का गठन किया गया था। डिविजन बेंच ने मंगलवार को अपील पर सुनवायी के बाद राज्य सरकार को एफआईआर की कापी पेश किए जाने का आदेश दिया है।
यहां गौरतलब है कि जादवपुर की घटना के विरोध में डीएसओ की चार महिला नेता पश्चिम मिदनापुर के विद्यासागर विश्वविद्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन कर रही थी। इस दौरान महिला पुलिस थाने ने उन्हें हिरासत में ले लिया था। हिरासत में पुलिस उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए उन्होंने हाई कोर्ट में रिट दायर की थी। इसके बाद जस्टिस तीर्थंकर घोष ने आईपीएस मुरलीधर की अध्यक्षता में इसकी जांच के लिए सिट का गठन किया था। सिट की रिपोर्ट के बाद पुलिस वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इसके खिलाफ यह अपील दायर की गई है। एडवोकेट जनरल किशोर दत्त ने मंगलवार को सुनवायी के दौरान दलील देते हुए कहा कि पुलिस हिरासत में उत्पीड़न के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक गाइड लाइन बना रखी है। इस पर अमल नहीं किया गया है। उन्होंने उत्पीड़न के आरोप को ही चुनौती दी है। उनकी दलील थी कि डीएसओ का एक नेता इन महिला नेताओं की गिरफ्तारी से लेकर उन्हें रिहा किए जाने तक उनके साथ था। उन्होंने कहा कि ये सारे सतही आरोप हैं। उन्होंने कहा कि हिरासत में लिए जाने के समय इन महिला नेताओं मेडिकल जांच कराए जाने से इनकार कर दिया था। एजी ने कहा कि सिंगल बेंच ने इस मामले का ट्रायल मानवाधिकार कोर्ट में कराए जाने का आदेश दिया है। मुआवजे के मामले में अभी तक फैसला नहीं हो पाया है। इस पर जस्टिस चक्रवर्ती ने सवाल किया कि आप किस तरह की सु्रक्षा हमसे चाहते हैं। क्या हम यह कह दें कि सिंगल बेंच का ऑर्डर बैड है। इसके बाद ही जस्टिस चक्रवर्ती ने एफआईआर की कापी पेश किए जाने का आदेश दिया। इन महिलाओं ने थाने में मारपीट की जाने के साथ ही मोमबत्ती से जलाए जानने का आरोप भी लगाया था। उनकी तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट जयंत नारायण चटर्जी ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह एक अजीब मामला है। राज्य सरकार के एक आईपीएस अफसर ने मामले की जांच के बाद एफआईआर दर्ज किए जाने की सिफारिश की है और सरकार इसी के खिलाफ अपील कर रही है।