600 से अधिक योग्य टीचरों ने दायर की हाई कोर्ट मेें रिट

पुराने पदों पर वापस लौटने की अनुमति देने की अपीलदिया इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला
600 से अधिक योग्य टीचरों ने दायर की हाई कोर्ट मेें रिट
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सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : 600 से अधिक योग्य टीचरों ने हाई कोर्ट में रिट दायर की है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि उन्हें उनके पुराने पदों पर वापस लौटने की अनुमति दी जाए। इसके अलावा कुछ पीटिशनरों ने रिट दायर कर के अपील की है कि उन्हें प्राइमरी टीचरों के लिए चल रही काउंसिलिंग और इंटरव्यू में हिस्सा लेने की अनुमति देने के लिए आदेश दिया जाए। जस्टिस पार्थ सारथी चटर्जी ने स्कूल सर्विस कमिशन को इस बाबत रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।

एडवोकेट इकरामुल बारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि ये वे योग्य टीचर है जिनकी नौकरी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चली गई है। उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश में उम्मीद की एक किरण दिख रही है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि नौकरी गवांने वाले टीचरों में से कुछ ऐसे टीचर भी हैं जो अयोग्य की श्रेणी में नहीं आते हैं। हो सकता है कि इससे पहले उन्होंने राज्य सरकार के किसी अन्य विभाग में या स्वायतशासी संस्थाओं में काम किया हो। उन्हें अपनी पुरानी संस्थाओं में अपनी नौकरी जारी रखने के लिए आवेदन देने का अधिकार होगा। इन विभागों को तीन माह के अंदर उपयुक्त कार्यवाही करनी पड़ेगी और उन्हें अपनी पुरानी नौकरी पर ज्वायन करने की अनुमति देनी पड़ेगी। अलबत्ता इस अवधि का उन्हें वेतन नहीं मिलेगा पर इस गैरहाजिरी को सर्विस में ब्रेक नहीं माना जाएगा। उनकी वरिष्ठता और अन्य सुविधाएं बनी रहेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि अगर आवश्यक हो तो इनके लिए अतिरिक्त पदों का सृजन किया जाए। जस्टिस चटर्जी ने एसएससी के एडवोकेट सुतनु कुमार पात्रा को इस बाबत रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है। मौमिता सरकार और अन्य ने यह पिटिशन दायर किया है। इसके साथ ही विक्रमादित्य राय और अन्य ने रिट दायर करके अपील की है कि कि उन्हें भी अपर प्राइमरी की काउंसिलिंग में हिस्सा लेने की अनुमति देने का आदेश वेस्ट बंगाल सेंट्रल स्कूल सर्विस कमिशन को दिया जाए। इन लोगों ने 2016 की नियुक्ति प्रक्रिया में हिस्सा लिया था और इनका चयन भी हो गया था। इसी दौरान उन्हें माध्यमिक में नियुक्ति मिल गई थी। इसका विरोध करते हुए एसएससी के एडवोेकट की दलील थी कि उनका न तो वेरिफिकेशन हुआ था और न ही पर्सनलिटी टेस्ट में हिस्सा लिया था। इसलिए उन्हें काउंसिलिंग में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

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