

सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : गारूलिया नगरपालिका के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को चार साल से पेंशन पाने का इंतजार है। फाइल कुछ इस कदर चिपक गई है कि आगे बढ़ ही नहीं पा रही है। हाई कोर्ट के जस्टिस गौरांग कांथ ने चेयरमैन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि उसे सेवानिवृत्ति के बाद की सुविधाएं देने में टाल बहाना किया जा रहा है। जस्टिस कांथ ने अपने आदेश में कहा है कि हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद यह स्थिति बनी है।
एडवोकेट शंकर विश्वास ने बताया कि जस्टिस कांथ ने यह टिप्पणी अपने 28 अप्रैल के आदेश में की है। उन्होंने बताया कि प्रवीर कुमार भट्टाचार्या ने यह रिट दायर की है। वह 2021 में 28 फरवरी को सेवानिवृत्त हो गया था। अब आगे की दास्तान यह साबित करती है कि किस तरह मामले को लटकाया गया। अब सेवानिवृत्त कर्मचारी का क्या कुसूर था यह तो बोर्ड को ही मालूम होगा। करीब दो साल इंतजार करने के बाद पीटिशनर ने 2023 में हाई कोर्ट में रिट दायर की थी। हाई कोर्ट के एक कोर्ट ने 2023 में 18 दिसंबर को चेयरमैन को आदेश दिया था कि वे पीटिशनर का आवेदन सुनने के बाद एक तर्कसंगत आदेश दें। कोर्ट के आदेश के बाद चेयरमैन ने पीटिशनर के आवेदन को सुना पर, फैसला इतनी जल्दी क्या है के अंदाज में लिया। हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद चेयरमैन को फैसला लेने में 15 माह लग गए। फिर भी मामला निपटा नहीं। चेयरमैन ने 2024 में सात मई को आदेश दिया कि सारे दस्तावेज मिलने के बाद पीटिशनर की पेंशन की फाइल पालिका मामलों के निदेशक के पास भेज दी जाएगी। जस्टिस कांथ ने अपने आदेश में कहा है कि पालिका की दलील है कि वह इसलिए पेंशन की फाइल तैयार नहीं कर पा रही है क्योंकि पीटिशनर 2012 से सेवानिवृत्त होने के दिन तक बीमारी के कारण अवकाश पर रहा था। जस्टिस कांथ ने कहा है कि बोर्ड ने तो इस तथ्य का हवाला पहले भी दिया था। अब 16 मई को हुई सुनवायी में चेयरमैन की तरफ से एफिडेविट के साथ दाखिल रिपोर्ट में कहा गया है कि पेंशन के कागजात, सारे दस्तावेज और सर्विस बुक निदेशक के पास भेज दिए गए हैं। निदेशक के एडवोकेट की सुनवायी के दिन दलील थी कि कागजात मिल चुके हैं और तीन सप्ताह के बाद वे रिपोर्ट दाखिल करके बताएंगे कि पेंशन रिलीज करने के लिए क्या कार्रवाई की गई है। अब इसकी अगली सुनवायी 13 जून को होगी। अब पीटिशनर को इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि फाइल तो मंथर गति से ही चला करती हैं।