

सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : नियुक्ति घोटाले के एक अन्य मामले में गिरफ्तार शांति प्रसाद सिन्हा की जमानत पर फैसला एक बार फिर टल गया। हाई कोर्ट की जस्टिस शुभ्रा घोष ने पीपी की अपील कर कहा कि शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को सैंशन के बाबत फैसला लेने के मामले में अंतिम मौका दिया जाता है। उन्हें 12 जून को या इससे पहले अपना निर्णय बताना पड़ेगा। इसी दिन जमानत याचिका पर अगली सुनवायी होगी।
शांति प्रसाद सिन्हा की तरफ से पैरवी करते हुए एडवोकेट मनजीत सिंह की दलील थी कि उनके मुवक्किल की उम्र 73 साल से अधिक है। बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन ने नियुक्ति का आदेश दिया था। नियुक्त की गई टीचर जश्मीन खातून को जमानत मिल चुकी है। इसी मामले में उसके पति शेख सिराजुद्दीन और एक अन्य आलोक सरकार को जमानत मिल चुकी है। जस्टिस घोष ने मामले की सुनवायी के दौरान कहा कि जमानत की याचिका खारिज करने का कोई आधार नहीं बनता है। हालांकि राज्य सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे पीपी ने जमानत दी जाने का तीखा विरोध किया। जस्टिस घोष की इस टिप्पणी के बाद उनकी दलील थी कि मामला चलाने के लिए राज्य सरकार की मंजूरी पर भी विचार किया जाए। इस मुद्दे पर एडवोकेट सिंह की दलील थी कि यह सवाल तो एक साल से लटका पड़ा है, हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद इस पर फैसला नहीं हो पाया है। इसके बाद जस्टिस घोष ने कहा कि एक अंतिम मौका दिया जाता है और इसके बाद ही फैसला ले लेंगे। हालांकि एडवोकेट सिंह की दलील थी कि जमानत मिलने के बावजूद वे जेल से रिहा नहीं हो पाएंगे क्योंकि उनके खिलाफ सीबीआई के दो और मामले भी हैं। यहां गौरतलब है कि मुर्शिदाबाद के एक स्कूल में जश्मीन खातुन की सहायक टीचर के पद पर अवैध रूप से नियुक्ति की गई थी। जस्टिस विश्वजीत बसु के आदेश पर सीआईडी जांच के बाद शांति प्रसाद सिन्हा को गिरफ्तार किया गया है।