

सन्मार्ग संवाददाता
नयी दिल्ली/कोलकाता : नियुक्ति घोटाले में गिरफ्तार पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सैंशन देने के मामले में राज्य सरकार दो सप्ताह के अंदर फैसला लेना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन के सिंह के डिविजन बेंच ने वृहस्पतिवार को यह आदेश दिया। डिविजन बेंच पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर सुनवायी कर रहा था।
इस मामले में ट्रायल शुरू होने को लेकर डिविजन बेंच के सवाल पर सीबीआई की तरफ से पैरवी कर रहे एडिशनल सालिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि राज्य सरकार से सैंशन नहीं मिलने के कारण ट्रायल शुरू नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट में भी कई बार यह मसला उठा था पर कोई हल नहीं हो पाया। इसके बाद ही जस्टिस सूर्यकांत ने उपरोक्त आदेश देते हुए कहा कि देखते हैं, राज्य सरकार हमारी बात सुनती है या नहीं। यहां गौरतलब है कि अगर किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा चलाना हो तो इसके लिए राज्य सरकार से सैंशन लेना पड़ता है। इस मामले में पार्थ चटर्जी के अलावा सव्यसाची भट्टाचार्या, कल्याणमय गांगुली, शांतिप्रसाद सिन्हा और अशोक साहा अभी तक जेल में हैं। हालांकि कुछ को जमानत मिल चुकी है, पर सैंशन नहीं मिलने के कारण ट्रायल नहीं शुरू हो पा रहा है। यहां गौरतलब है कि पार्थ चटर्जी को ईडी की तरफ से दायर मामले में जमानत मिल चुकी है पर सीबीआई मामले के कारण अभी भी हिरासत में हैं। यहां गौरतलब है कि इन पांचों की जमानत याचिका हाई कोर्ट में खारिज हो चुकी है। डिविजन बेंच के एक जज जमानत देने के पक्ष में थे पर दूसरे जज ने इनकार कर दिया था। इसके बाद तीसरे जज के पास मामला गया तो उन्होंने जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अब पार्थ चटर्जी की तरफ से सुप्रिम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की गई है। इसकी अगली सुनवायी 17 जुलाई को होगी।