

सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : फिजिकल एडुकेशन और वर्क एडुकेशन के टीचरों की नियुक्ति पर स्टे जारी रहेगा। हाई कोर्ट के जस्टिस विश्वजीत बसु ने बुधवार को यह आदेश दिया। जस्टिस बसु ने इस मामले में राज्य सरकार और एसएससी की अपील को खारिज कर दिया। इसके साथ ही कहा कि यह स्टे 18 जून तक जारी रहेगा और उसी दिन इस मामले की सुनवायी होगी। सरकार और एसएससी ने वैकेट करने की अपील की थी तो पीटिशनरों से स्टे को जारी रखने का आवेदन किया था।
एडवोकेट आशिष कुमार चौधरी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस प्रकरण का सबसे दिलचस्प पहलू तो यह है कि इस स्टे की अवधि तो 2023 के अप्रैल में ही समाप्त हो गई थी। इसके बाद इसे बढ़ाया ही नहीं गया। वादियों और प्रतिवादियों में से किसी की निगाह इस तकनीकी गलती पर नही पड़ी थी। मंगलवार को इस मामले की सुनवायी के दौरान एजी किशोर दत्त ने स्टे को वैकेट किए जाने के लिए आवेदन किया तो पीटिशनरों की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट विकास रंजन भट्टाचार्या ने स्टे की अवधि को बढ़ाने की अपील की थी। एजी की दलील थी कि कि अगर स्टे की अवधि को बढ़ायी जाती है तो पहले इस पीटिशन की ग्रहणयोग्यता पर सुनवायी की जाए। इसके बाद ही जस्टिस बसु ने इसकी सुनवायी को मुल्तवी करते हुए बुधवार का दिन सुनवायी के लिए तय कर दिया। जस्टिस बसु ने एजी और एडवोकेट भट्टाचार्या की संक्षिप्त दलील को सुनने के बाद राज्य की अपील को खारिज कर दिया। यहां गौरतलब है कि 2016 के एसएलएसटी के बाद कुछ टेंटेड उम्मीदवार रह गए थे। उन्हें नियुक्ति देेने के लिए 2022 में सुपरन्यूमरेरी (शून्य) पदों का सृजन किया गया। एसएससी ने इस तरह के 1600 पदों पर नियुक्ति दी जाने के लिए अपना रिकमेंडेशन भी दे दिया था। इसके खिलाफ हाई कोर्ट में रिट दायर की गई। हाई कोर्ट ने इसे अवैध करार देते हुए इन पर नियुक्ति की जाने पर स्टे लगा दिया था। अब यह बात दीगर है कि इन दो सालों तक कोई स्टे ही नहीं था। इसके साथ ही जस्टिस बसु ने आदेश दिया है कि इस मामले में प्रभावित पार्टियों की बात भी सुनी जाएगी और इस लिहाज से उन्हें एडेड पार्टी बनाया गया है।