

सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : हाई कोर्ट में दायर एक रिट पर सुनवायी करते हुए जस्टिस तीर्थंकर घोष ने चुचुंड़ा नगरपालिका के कामकाज पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि पालिका लाइसेंसी व्यापारी का गला घोट रही है। अलबत्ता उन्होंने इस मामले को इस आधार पर रिलीज कर दिया कि यह पुलिस एक्शन इनएक्शन के डिटरमिनेशन में नहीं आता है।
एडवोकेट लीपिका दास ने यह जानकारी देते हुए बताया कि पीटिशनर का आरोप है कि उसकी लाइसेंसी दुकान के सामने अवरोध पैदा कर दिया गया है। पहले तो उसकी दुकान के सामने लोहे के रॉड पर विज्ञापन वाला होर्डिंग लगा दिया गया। बात यहीं समाप्त नहीं हुई। इसके बाद उसकी दुकान के सामने एक गुमटी खड़ी कर दी गई। इस मामले में चुंचुड़ा थाने के आईसी की तरफ से दाखिल रिपोर्ट में कहा गया है कि गुमटी दुकान से कुछ दूूरी पर है। इसमें कहा गया है कि चुंचुड़ा नगरपालिका की तरफ से दी गई जानकारी के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है। इसी का हवाला देते हुए जस्टिस घोष ने गला घोटने वाली टिप्पणी की है। पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक यह बोर्ड नगरपालिका की अनुमति मिलने के बाद ही लगाया गया है। पीटिशनर ने इससे पहले एक्जिक्यूवि मजिस्ट्रेट से इसकी शिकायत की थी। एक्जिक्यूटिव मजिस्ट्रेट ने पुलिस को इस मामले में कार्रवाई करने का आदेश दिया था। जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो पीटिशनर ने पुलिस के खिलाफ इनएक्शन का आरोप लगाते हुए हाई कोर्ट में रिट दायर कर दी। जस्टिस घोष ने अपने आदेश में कहा है कि चेयरमैन का आदेश वैध है या अवैध इस बाबत पुलिस फैसला नहीं ले सकती है। लिहाजा यह कोर्ट इस मामले में दखल नहीं दे सकता है। जस्टिस घोष ने उपयुक्त डिटरमिनेशन वाले कोर्ट में मामला दायर करने की सलाह दी।