

जितेंद्र , सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : पति या पत्नी कोई भी विदेशी कोर्ट में तलाक का मामला दायर कर सकता है। बशर्ते कि वे उस देश में रहते हों। यहां एक पत्नी ने ब्रिटेन की एक जिला अदालत में तलाक और गुजाराभत्ता के भुगतान का दावा करते हुए मामला दायर किया है। वह ब्रिटेन में रहती है। ब्रिटेन की जिला अदालत ने इस मामले में एक आदेश दिया था। पति ने इसे चुनौती देते हुए अलीपुर कोर्ट में मामला दायर कर दिया। कोर्ट ने ब्रिटेन की जिला अदालत के आदेश पर इंजंशन लगा दिया। पत्नी ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्या और जस्टिस सुप्रतीम भट्टाचार्या ने अपने फैसले में कहा है कि विदेशी अदालत में मुकदमा दायर किया जा सकता है।
डिविजन बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि हिंदू मैरिज एक्ट के तहत आवास की सीमा के दायरे में आने वाली जिला अदालत तलाक व गुजाराभत्ता के मामले की सुनवायी कर सकती है। बशर्ते कि वह आवास जहां पति पत्नी साथ रहे थे इस जिला अदालत के न्यायिक अधिकार क्षेत्र में आता हो। डिविजन बेंच ने कहा है कि इसी कानून के एक अन्य प्रावधान के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि जिला अदालत का मतलब भारतीय अदालत है विदेशी अदालत नहीं। इसके साथ ही डिविजन बेंच ने कहा है कि अगर इसके सही मायने और उदारता के परिदृश्य में विचार करें तो यूके की फेमिली अदालत के पास भी यह न्यायिक अधिकार क्षेत्र है बशर्ते कि पत्नी वहां रहती हो। कम से कम पति पत्नी दोनों वहां एक साथ रहे हों। साथ ही कहा है कि यह नहीं कहा जा सकता है कि यूके की अदालत का फैसला भारत में असंपूर्ण रह जाएगा। इस जोड़ी का ब्याह 2018 में हुआ था। पत्नी ने 2024 में तलाक का मामला दायर किया था। दोनों पति-पत्नी के रूप में यूके में रहें थे।