डिजिटल फ्रॉड के मामले में नहीं मिली जमानत

ठगी थी पांच करोड़ से अधिक की रकम 
डिजिटल फ्रॉड के मामले में नहीं मिली जमानत
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जितेंद्र, सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : डिजिटल फ्रॉड के एक गंभीर मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए दो अभियुक्तों को जमानत देने से इनकार कर दिया। इस मामले में सोमवार को सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति शंपा दत्त पाल ने रिजु राय और संदीप दे की जमानत याचिका खारिज कर दी। दोनों अभियुक्तों पर एक बुजुर्ग दंपत्ति से पांच करोड़ रुपये से अधिक की ठगी करने का आरोप है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से जमानत का तीखा विरोध किया गया। राज्य की तरफ से पैरवी कर रहीं अधिवक्ता अफरीन बेगम ने अदालत को बताया कि यह एक सुनियोजित और गंभीर साइबर अपराध का मामला है, जिसमें अभियुक्तों ने डिजिटल फ्रॉड के जरिए दंपत्ति को मानसिक रूप से डराकर भारी रकम वसूली। अधिवक्ता ने बताया कि इस संबंध में सबसे पहले बारानगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच बाद में बैरकपुर पुलिस कमिश्नरेट के डिजिटल साइबर सेल को सौंप दी गई। जांच में सामने आया कि अभियुक्तों ने खुद को सरकारी अधिकारी बताकर बुजुर्ग दंपत्ति को फर्जी एफआईआर, डिजिटल अरेस्ट और कानूनी कार्रवाई का भय दिखाया। एफआईआर के अनुसार, वर्ष 2024 में 9 सितंबर को दंपत्ति को एक फोन कॉल आया था। फोन करने वाले ने खुद को नई दिल्ली के कस्टम विभाग का अधिकारी बताते हुए कहा कि सिंगापुर भेजा जा रहा एक पार्सल जब्त किया गया है, जिसमें प्रतिबंधित वस्तुएं पाई गई हैं। इसके बाद दंपत्ति को बताया गया कि उनसे पूछताछ के लिए दिल्ली के वसंत कुंज पुलिस थाने में उपस्थित होना होगा। अधिवक्ता के अनुसार, इस कथित कानूनी कार्रवाई से बचाने का झांसा देकर अभियुक्तों ने दंपत्ति से पांच करोड़ रुपये से अधिक की रकम वसूल ली। यह राशि आरटीजीएस, एनईएफटी और चेक के माध्यम से विभिन्न खातों में ट्रांसफर करवाई गई थी। जांच एजेंसी ने इस मामले में चार्जशीट भी दाखिल कर दी है। अदालत ने मामले की गंभीरता, ठगी की बड़ी रकम और पीड़ितों की उम्र को ध्यान में रखते हुए अभियुक्तों को जमानत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह के साइबर अपराध समाज के लिए गंभीर खतरा हैं और ऐसे मामलों में सख्ती बरतना जरूरी है।


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