

सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : हाई कोर्ट के जस्टिस जय सेनगुप्त ने मंगलवार को आदेश दिया कि नारकेलडांगा थाने के एसआई रत्ना सरकार और होमगार्ड दीपंकर देवनाथ को जमानत पर रिहा कर दिया जाए। इसके साथ ही उनपर कुछ शर्तें भी लगा दी है। जस्टिस सेनगुप्त ने इस मामले में सीबीआई कोर्ट के जज की भूमिका पर भी नाखुशी जतायी। दोनों अभियुक्तो को चुनाव बाद हुई हिंसा के दौरान अभिजीत सरकार की हत्या के मामले में सीबीआई कोर्ट के जज ने जेल हिरासत में भेज दिया है।
जस्टिस सेनगुप्त ने आदेश दिया है कि एसआई रत्ना सरकार और होमगार्ड दीपंकर देवनाथ का नारकेलडांगा थाने से किसी अन्य थाने में तबादला कर दिया जाए। इसके साथ ही रत्ना सरकार और देवनाथ को ट्रायल कोर्ट में हर तारीख पर हाजिर होना पड़ेगा। रत्ना सरकार सितलातल्ला और इसके आसपास के क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकती हैं। यहां गौरतलब है कि अभिजीत सरकार का परिवार इसी क्षेत्र में रहता है। जस्टिस सेनगुप्त ने इस मामले में सीबीआई कोर्ट के जज की भूमिका पर अपनी नाखुशी जतायी। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने इसी मामले के अन्य अभियुक्तों के बाबत प्रोसिडिंग को स्थगित करने को कहा था इसके बावजूद दो अभियुक्तों को जेल हिरासत में भेज दिया गया। उन्होंने कहा कि यह न्यायिक परंपरा और अनुशासन के अनुकूल नहीं है। जस्टिस सेनगुप्त ने सीबीआई के सप्लिमेंटरी चार्जशीट देने में चार साल लगने पर हैरानी जतायी। देर लगने की कोई तर्कसंगत वजह भी नहीं बतायी गई है। इसके अलावा इन दोनों अभियुक्तों को इन चार वर्षों के दौरान कभी हिरासत में नहीं लिया गया। उनके खिलाफ सीबीआई कोर्ट ने कभी कोई वारंट भी नहीं जारी किया था। अपने आदेश में कहा है कि रत्ना सरकार के खिलाफ एक कोरे कागज पर अभिजीत की मां का दस्तखत लेने का आरोप लगा है। पुलिस और सीबीआई दोनों के ही चार्जशीट में इस सवाल पर समानता है। जस्टिस सेनगुप्त ने कहा कि जहां तक घटना स्थल से रक्त के निशान को धोने का आरोप है तो इस मुद्दे पर तीन तरह के बयान है। उन्होंने कहा कि इस मामले में नारकेलडांगा थाने के ओसी और होमगार्ड के साथ एक अन्य नाम भी उभर कर आया है। जस्टिस सेनगुप्त ने कहा कि ट्रायल कोर्ट इस सवाल पर गौर करेगा। जस्टिस सेनगुप्त ने कहा कि जमानत दी जाने का फैसला निर्धारित सिद्दांत के आधार पर लिया जाता है।