

सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : मुर्शिदाबाद में बीएसएफ का एक स्थायी कैंप क्यों नहीं स्थापित किया जाए। हाई कोर्ट के जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस राजा बसु चौधरी के डिविजन बेंच ने राज्य सरकार से इस सुझाव पर जवाब मांगा है। यहां गौरतलब है कि मुर्शिदाबाद में पिछले दिनों हुई हिंसा के बाद यहां अस्थायी तौर पर बीएसएफ का एक कैंप स्थापित किया गया है। डिविजन बेंच ने इसे अगले आदेश तक बने रहने का आदेश दिया है। इसके साथ ही इस हिंसा के दौरान दो लोगों की हत्या के मामले में डीजीपी को रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।
जस्टिस सेन ने वृहस्पतिवार को मामले की सुनवायी के दौरान कहा कि मुर्शिदाबाद की भौगोलिक स्थिति और संवेदनशीलता को देखते हुए यहां बीएसएफ का स्थायी कैंप स्थापित किया जाना चाहिए। उन्होंने राज्य सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेटों से कहा कि इस प्रस्ताव पर राज्य सरकार का जवाब दाखिल करें। हालांकि राज्य सरकार की तरफ से पैरवी करते हुए कहा गया कि स्थिति अभी नियंत्रण में है और इसके लिए पुलिस काफी है। इस मौके पर केंद्र सरकार की तरफ से पैरवी करते हुए एडवोकेट ने कहा कि मुर्शिदाबाद में हिंसा के दौरान राज्य सरकार ने ही बीएसएफ तैनात करने की अपील की थी। हाई कोर्ट के आदेश पर इस घटना की जांच के लिए एक सिट का गठन किया गया था। सिट की तरफ से रिपोर्ट दाखिल की गई। रिपोर्ट पर मायूसी जताते हुए जस्टिस सेन ने कहा यह बेहद गलत बात है कि जांच अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। शमशेरगंज थाने में दर्ज एफआईआर के सिलसिले में उन्होंने यह टिप्पणी की। इस पर राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि कुछ अन्य एजेंसियों की रिपोर्ट का इंतजार है। कहा गया कि इस मामले में 583 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है और कुछ फरार हैं। जस्टिस सेन ने आदेश दिया कि सात सप्ताह के अंदर जांच पूरी करने के बाद चार्जशीट आदि दाखिल करने की प्रक्रिया पूरी करें। डैमेज असेसमेंट कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया कि करीब डेढ़ करोड़ की स्थायी संपत्ति को नुकसान पहुंचा है। अस्थायी संपत्ति के मामले मे यह संख्या ढ़ाई करोड़ के करीब है। हरगोपाल दास और चंदन दासी की हत्या के मामले में डीजीपी को आदेश दिया कि वे जांच में प्रगति रिपोर्ट दाखिल करें। यहां गौरतलब है कि इस हिंसा के दौरान ही इन दोनों की हत्या की गई थी। सात सप्ताह बाद मामले की अगली सुनवायी होगी।