18 सौ से अधिक दागी टीचरों की तकदीर का फैसला आज

बुधवार को अधूरी रह गई हाई कोर्ट में सुनवायी
18 सौ से अधिक दागी टीचरों की तकदीर का फैसला आज
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सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : एसएलएसटी के 18 सै से अधिक दागी टीचरों की तकदीर का फैसला वृहस्पतिवार को आएगा। राज्य सरकार और बोर्ड की तरफ से इस बाबत दायर अपील पर जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस स्मिता दास के डिविजन बेंंच में बुधवार को हुई सुनवायी अधूरी रह गई। वृहस्पतिवार को फिर होगी। जस्टिस सौगत भट्टाचार्या ने अपने फैसले में कहा है कि टीचरों की नियुक्ति के लिए नये सिरे से होने वाली परीक्षा में दागी टीचर हिस्सा नहीं ले पाएंगे। इसके खिलाफ राज्य और बोर्ड की तरफ से अपील की गई है।

जस्टिस सौमेन सेन ने बोर्ड से सवाल किया कि उनकी अपील का आधार क्या है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बोर्ड कैसे प्रभावित हुआ है। बोर्ड का काम तो आदेश का अनुपालन करना है। जिन्होंने चीटिंग और फ्रॉड के आधार पर नौकरी हासिल की थी वे इस परीक्षा में कैसे हिस्सा ले सकते हैं। इसके जवाब में सीनियर एडवोकेट कल्याण बनर्जी की दलील थी कि एक ही अपराध के लिए किसी को दो बार सजा नहीं दी जा सकती है। 2016 के एसएलएसटी के असफल उम्मीदवार तो सीबीआई के स्कैनर में नहीं थे, वे दागी है या बेदाग है, नहीं कहा जा सकता है। अगर वे परीक्षा में हिस्सा ले सकते हैं तो दागी क्यों नहीं हिस्सा ले सकते हैं। सजायाफ्ता सरकारी नौकरी में हिस्सा नहीं ले सकते हैं, पर उन्हें सजा कहां हुई है। सीबीआई की जांच अभी जारी है। इसके अलावा बुनियादी अधिकार की धारा 23 का उल्लंघन नहीं कर सकते हैं। राज्य सरकार की तरफ से बहस करते हुए एडवोकेट जनरल किशोर दत्त की दलील थी कि जो दागी हैं उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने टर्मिनेट किया है, उन्हें डिसमिस नहीं किया है। इसलिए उनका अधिकार अभी बना हुआ है। उन्होंने अपील की कि डिविजन बेंच के आदेश से उनके बुनियादी अधिकार का हनन नहीं होना चाहिए। यहां गौरतलब है कि दागी टीचरों की संख्या कुल 1801 है और उनमें से अभी तक 180 ने परीक्षा फार्म भरा है। इसकी अंतिम तारीख 14 जुलाई है।


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