
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : हुगली चुंचुड़ा नगरपालिका के 148 कर्मचारियों को हाई कोर्ट के फैसले से राहत मिली है। जस्टिस गौरांग कांथ ने आदेश दिया है कि उन्हें नये सिरे से कंजर्वेंसी वर्कर का दर्जा दिया जाए। हालांकि ये कर्मचारी 30-35 वर्षों से काम कर रहे हैं और उन्हें स्थायी कर्मचारियों को मिलने वाली सारी सुविधाएं मिल रही है। इसके बावजूद पेंशन और सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली सुविधाओं से वंचित हैं। जस्टिस कांथ ने उन्हें ये सुविधाएं दी जाने का आदेश दिया है।
एडवोकेट स्नेहा सिंह बताती हैं कि नौकरशाही की इस गुत्थी का खुलासा पालिका कर्मचारी दिलीप हरि के सेवानिवृत्त होने के बाद हुआ है। करीब 32 साल तक नौकरी करने के बाद जब 2023 में सेवानिवृत्त हुआ तो उसे पेंशन और अन्य सुविधाएं देने से इनकार कर दिया गया। इसके बाद उसने हाई कोर्ट में रिट दायर कर दी। इसके बाद यह खुलासा हुआ कि वह अकेले ही नहीं ग्रुप डी के 148 कर्मचारी इसके शिकार हैं। इनकी नियुक्तियां 1980 के दशक में हुई थी और उस दौरान न तो उन्हें नियुक्ति पत्र दिया गया था और न ही उनसे कोई प्रमाणपत्र ही लिया गया था। इसके बाद 2019 मेें डिजिटाइजेशन का दौर शुरू हुआ तो उनसे नियुक्ति पत्र और शैक्षिक प्रमाणपत्र मांगा जाने लगा। इसके नहीं होने के कारण उन्हें कंजर्वेंसी वर्कर का दर्जा नहीं दिया गया। इस वजह से उनकी पेंशन और अन्य सुविधाएं रुक गई हैं। जस्टिस कांथ ने अपने फैसले में कहा है कि कोर्ट इसे स्पष्ट कर दे रहा है कि प्रशासनिक अक्षमता और विभागीय तालमेल नहीं होने का खामियाजा कर्मचारी नहीं चुका सकते हैं। इन कर्मचारियों ने जिन्होंने नगरपालिका में कई दशक तक काम किया है उन्हें उनके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। कहा है कि पेंशन कोई दया नहीं है, बल्कि एक अधिकार है जिसे वर्षों काम करने के बाद हासिल किया जाता है। इसे देने में एक दिन की देर भी नहीं कर सकते हैं। जस्टिस कांथ ने कहा है कि यह प्रक्रिया दो सप्ताह के अंदर पूरी की जाए। अगर तकनीकी औपचारिकता को पूरी करने के लिए आवश्यक हो तो 148 शून्य पदों का सृजन किया जाए।