
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : हाई कोर्ट की जस्टिस शंपा दत्त पाल ने एक मामले में आदेश दिया है कि पांच साल तक काम करने के बाद कर्मचारी ग्रेच्यूटी पाने का हकदार हो जाता है। इसके भुगतान में विलंब करने पर ब्याज चुकाना पड़ेगा। एफसीआई के एक मामले में जस्टिस पाल ने यह आदेश दिया है। इस पीटिशनर के बाबत आदेश दिया है कि एफसीआई को इस विलंब की वजह से पांच साल तक का ब्याज भुगतान करना पड़ेगा।
एडवोकेट अमृता पांडे ने यह जानकारी देते हुए बताया कि हिमांग्सु कर्मकार ने यह पीटिशन दायर किया था। एक कैजुुवल कर्मचारी के रूप में एफसीआई में इसकी नियुक्ति की गई थी। इस कर्मचारी का एक दिलचस्प पहलू भी है। इस तरह नियुक्त किए गए 58 कर्मचारियों ने हाई कोर्ट में रिट दायर की थी। हाई कोर्ट ने 1998 में आदेश दिया था कि उन्हें सालाना इनक्रीमेंट सहित उपयुक्त वेतन दिया जाए। यह पीटिशनर भी उनमें शामिल था। बहरहाल 2018 में हिमांग्शु कर्मकार सेवा निवृत्त हो गया। उसे ग्रेच्यूटी का भुगतान सेवानिवृत किए जाने के समय नहीं किया गया। इस मद में 2021 में करीब आठ लाख रुपए का भुगतान किया गया। इस विलंब के लिए कोई ब्याज नहीं दिया गया। जस्टिस पाल ने अपने आदेश में कहा है कि कानून की धारा 4 के तहत सेवानिवृत्ति के समय ग्रेच्यूटी की भुगतान किए जाने का प्रावधान है। इसके लिए कोर्ट आने की कोई वाध्यता नहीं है। इसी कानून की धारा 7(3ए) के तहत विलंब होने पर ब्याज का भुगतान किए जाने का प्रावधान है। जस्टिस पाल ने इसी कानून का हवाला देते हुए 2018 के एक दिसंबर से 2023 के चार अक्टूबर तक के ब्याज का भुगतान किए जाने का आदेश दिया है।