कर्मचारियों के बकाया पीएफ का भुगतान करना ही पड़ेगा

सीएसटीसी के मामले में हाई कोर्ट का आदेश
कर्मचारियों के बकाया पीएफ का भुगतान करना ही पड़ेगा
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सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : सीएसटीसी के कर्मचारियों के बकाया पीएफ का भुगतान करना ही पड़ेगा। हाई कोर्ट के जस्टिस अरिंदम मुखर्जी ने इस बाबत दायर कंटेंप्ट के मामले की शुक्रवार को सुनवायी करते हुए यह आदेश दिया। इस मामले में कंटेंप्ट का रूल लागू करते हुए जस्टिस मुखर्जी ने पूर्व परिवहन मंत्री मदन मित्रा, वित्त सचिव और सीएसटीसी के सीएमडी को शुक्रवार को तलब किया था।

इस मामले में राज्य सरकार की तरफ से पैरवी करते हुए एडवोकेट अमितेश बनर्जी ने कहा कि 17 कर्मचारियों के बकाये का भुगतान कर दिया गया है। इस पर जस्टिस मुखर्जी ने सवाल करते हुए कहा कि अभी भी 150 कर्मचारियों का भुगतान किया जाना है। वित्त विभाग के प्रमुख सचिव की तरफ से कहा गया कि उन लोगों ने परिवहन विभाग को दिया है और रोजमर्रा काम देखना परिवहन विभाग की जिम्मेदारी है। जस्टिस मुखर्जी ने कहा कि यह तो एक साझा परिवार की तरह है और आप इसके मुखिया हैं। लिहाजा सवाल तो आप ही से किया जाएगा। एडवोकेट अमितेश बनर्जी की दलील थी कि बोर्ड के पैसा देने के बाद ही कर्मचारियों का भुगतान किया जाता है। इसे सीधे ट्रस्ट को नहीं दे सकते हैं। परिवहन विभाग को ही इसका भुगतान करना पड़ेगा। जस्टिस मुखर्जी ने कंटेमनरों की तरफ मुखातिब होते हुए कहा कि आप लोगों को तलब कर के हमें खुशी नहीं हो रही है, पर इन कर्मचारियों के बकाया का सवाल हमें परेशान कर रहा है। पीएफ का अंश कर्मचारियों के वेतन से काटा जाता है और सेवानिवृत्ति के बाद इसका नहीं मिलना कष्टदायक है। जस्टिस मुखर्जी ने कहा कि इन लोगों की अपनी जरूरते हैं, किसी को बेटी का ब्याह करना है तो किसी को अपने किसी परिजन का इलाज कराना है। इस तरह की जरूरतें आम हैं।


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