छात्र यूनियन कार्यालयों में तत्काल प्रभाव से तालाबंदी

हाई कोर्ट के जस्टिस सौमेन सेन के डिविजन बेंच ने दिया आदेश
छात्र यूनियन कार्यालयों में तत्काल प्रभाव से तालाबंदी
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सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : हाई कोर्ट के जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस स्मिता दास के डिविजन बेंच ने कालेजों और विश्वविद्यालयों के छात्र यूनियनों के कार्यालयों पर तत्काल प्रभाव से ताला लगाने का आदेश दिया है। डिविजन बेंच ने वृहस्पतिवार को मामले की सुनवायी करते हुए उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को आदेश दिया कि इस बाबत अधिसूचना वृहस्पतिवार को ही जारी की जाए। इस बाबत दायर पीआईएल की सुनवायी के बाद डिविजन बेंच ने उपरोक्त आदेश दिया।

यहां गौरतलब है कि लॉ कालेज की गैंग रेप की घटना ने इस दो साल पुरानी पीआईएल को जिंदा कर दिया है। एडवोकेट सायन बनर्जी ने बताया कि कालेजों में यूनियन का चुनाव कराए जाने के लिए 2022 में एक पीआईएल दायर की गई थी। इसकी सुनवायी के बाद राज्य सरकार की तरफ से एफिडेविट दाखिल करके कहा गया था कि राज्य में एक भी छात्र यूनियन नहीं है, क्योंकि इनके चुनाव नहीं कराए गए हैं। वृहस्पतिवार को इस मामले की सुनवायी के दौरान डिविजन बेंच के समक्ष एडवोकेट बनर्जी की दलील थी कि लॉ कालेज में तो छात्रा से बलात्कार की घटना सूत्रपात तो यूनियन कार्यालय में ही हुई थी। उनकी दलील थी कि इसका अर्थ है कि सारे कालेजों में इस तरह की अवैधानिक यूनियनें काम कर रही है। लॉ कालेज की पीड़िता ने अपने बयान में एक जनरल सेक्रेटरी का जिक्र किया है। अगर यूनियन नहीं है तो यह जनरल सेक्रेटरी कहां से आ गईं। इसके साथ ही 2022 की गुरुदासपुर की एक घटना का जिक्र किया। छात्र यूनियन की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में बांबे के एक सिंगर के. के. की मौत हो गई थी। ये अवैध यूनियनें विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं। उन्हें कालेज से फंड दिया जाता है। इसके बाद ही डिविजन बेंच ने उपरोक्त आदेश देते हुए कहा कि किसी भी कालेज का यूनियन कार्यालय विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार की अनुमति के बगैर नहीं खोला जा सकता है। एडवोकेट सायन बनर्जी ने कहा कि यह आदेश इस बाबत दायर पीआईएल से जुड़ा हुआ है, इसलिए पीआईएल का निपटारा नहीं होने तक यह आदेश प्रभावी रहेगा। राज्य सरकार को एफिडेविट दाखिल करके बताना पड़ेगा कि छात्र यूनियनों का चुनाव कराए जाने के बाबत उनका स्टैंड क्या है। इसके अलावा एंटी रैगिंग कमेटी के बारे में भी जवाब देना पड़ेगा। राज्य की तरफ से पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट कल्याण बनर्जी ने कहा कि यह तो कालेजों और विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी है। इसकी अगली सुनवायी 16 जुलाई को होगी।

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