लॉ कालेज गैंग रेप : राज्य को सीडी दाखिल करने का आदेश

जांच में प्रगति रिपोर्ट के साथ ही 164 का बयान भी
लॉ कालेज गैंग रेप : राज्य को सीडी दाखिल करने का आदेश
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सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : साउथ कलकत्ता लॉ कालेज के गैंग रेप के मामले में राज्य सरकार को अगली सुनवायी में सीडी दाखिल करना पड़ेगा। इसके साथ ही जांच की प्रगति रिपोर्ट और पीड़िता का 164 का बयान भी कोर्ट में पेश करना पड़ेगा। इस बाबत दायर कई पीआईएल पर वृहस्पतिवार को सुनवायी करते हुए हाई कोर्ट के जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस स्मिता दास के डिविजन बेंच ने यह आदेश दिया। राज्य सरकार को अपने एफिडेविट में छह विंदुओं पर विंदुवार जवाब देना पड़ेगा।

एडवोकेट अनामिका पांडे ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस बाबत विजय सिंघल, एडवोकेट सौम शुभ्र राय और एक अन्य ने पीआईएल दायर की है। विजय सिंघल की तरफ से बहस करते हुए एडवोकेट फिरोज इदुलजी ने डिविजन बेंच से अपील की कि राज्य सरकार को इस मामले की सीडी कोर्ट में दाखिल करने का आदेश दिया जाए। जवाब में जस्टिस सेन ने सवाल किया कि क्या हम समानांतर जांच चला सकते हैं। एडवोकेट इदुलजी की दलील थी कि किसी भी आपराधिक घटना की जांच का आकलन करने के लिए सीडी का मुआयना करना निहायत जरूरी है। राज्य सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट कल्याण बनर्जी की दलील थी कि इतनी जल्दबाजी क्यों। बहरहाल उन्होंने कहा कि अगली सुनवायी में सीडी और 164 का बयान पेश करेंगे। एडवोकेट अनामिका पांडे ने बताया कि डिविजन बेंच ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि एडवोकेट सौम शुभ्र राय के पीटिशन में जिन छह विंदुओं को उठाया गया है उनका एफिडेविट दाखिल करके जवाब दें। एक पूर्व छात्र को कालेज में पठन पाठन की अवधि समाप्त होने के बाद कैसे प्रवेश करने दिया गया। क्या यह प्रोटोकॉल का उल्लंघन नहीं है। किसी विभागीय कार्य या किसी प्रशासनिक आवश्यकता के बगैर कालेज का स्टाफ कालेज में इतनी रात तक क्यों मौजूद था। अनाधिकृत लोगों के प्रवेश को रोकने के लिए कालेज में कौन सा सिस्टम है। संवेदनशील स्थानों तक बाहरी लोगों की पहुंच को रोकने के लिए क्या उपाय किए गए हैं। पीड़िता को पहले से धमकी मिलने के बावजूद क्या एहतियाती कार्रवाई की गई थी। कालेज के प्रशासन और पुलिस ने इस बाबत जानकारी के बावजूद क्या कार्रवाई की थी। एक विख्यात लॉ कालेज का निगरानी ढांचा इतना कमजोर क्यों है। सीसीटीवी कवरेज की सुविधा क्यों नहीं है। इसके साथ ही जस्टिस सेन ने सवाल किया कि इस मामले में कालेज और उसकी गवर्निंग बॉडी को पार्टी क्यों नहीं बनाया गया है। इन सारे सवालों का जवाब अगली सुनवायी में देना पड़ेगा। पीड़िता के माता पिता के एडवोकेट युवराज चटर्जी ने बेंच से कहा कि वे अभी तक की पुलिस जांच से संतुष्ट हैं। उन्होंने इस मामले में पार्टी बनाये जाने और जांच की प्रगति रिपोर्ट देने की अपील की जिसे डिविजन बेंच ने स्वीकार कर लिया।


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