एडमिशन पोर्टल फार्म में ओबीसी का हवाला नहीं

राज्य सरकार ने किया संशोधन
एडमिशन पोर्टल फार्म में ओबीसी का हवाला नहीं
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सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : एडमिशन पोर्टल को लेकर दायर कंटेंप्ट के मामले में हाई कोर्ट के जस्टिस तपब्रत चक्रवर्ती और जस्टिस राजाशेखर मंथा के डिविजन बेंच ने राज्य सरकार को कंटेंप्ट के मामले में एफिडेविट दाखिल करने का आदेश दिया है। इस मौके पर राज्य सरकार की तरफ से जानकारी दी गई कि पोर्टल में संशोधन किया गया है। इसमें ओबीसी का वर्गीकरण नहीं है।

एडवोकेट बिक्रम बनर्जी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि एडमिशन पोर्टल में ओबीसी ए और बी का हवाला दिया गया था। जस्टिस चक्रवर्ती के डिविजन बेंच ने ओबीसी के इस वर्गीकरण को खारिज करते हुए आदेश दिया था कि 2010 के पहले की सूची के तहत ओबीसी को सात फीसदी आरक्षण दिया जाए। जबकि सरकार ने जो ओबीसी सूची बनायी थी उसमें ओबीसी ए और बी के साथ ही 7 और 17 फीसदी आरक्षण का प्रावधान था। हाई कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि ओबीसी आरक्षण के बाबत सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद निर्णय लिया जाएगा। ओबीसी वालों को इस फैसले के तहत नये सिरे से इस बाबत जानकारी देनी पड़ेगी। पोर्टल में इस तरह का प्रावधान किया गया है। डिविजन बेंच ने कहा कि फिलहाल दाखिले की प्रक्रिया चलने दी जाए। यहां गौरतलब है कि डिविजन बेंच के इस फैसले के खिलाफ राज्य की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई है और 14 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट खुलने के बाद फैसला आएगा। जस्टिस चक्रवर्ती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आने तक इस मामले को डिस्पोज नहीं किया जाएगा। राज्य सरकार को एफिडेविट दाखिल करके बताना पड़ेगा कि कालेजों में दाखिले की प्रक्रिया किस तरह पूरी की जा रही है। क्या ओबीसी के मामले में 2010 के पहले की सूची पर अमल किया जा रहा है।

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