02071-pti07_02_2025_000276b
बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना

बांग्लादेश आईसीटी ने हसीना को कोर्ट की अवमानना मामले में सुनायी 6 महीने की जेल

मुल्क छोड़ने के बाद पहली बार अपदस्थ पीएम को किसी मामले में सजा सुनायी गयी
Published on

ढाका : बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को अदालत की अवमानना के मामले में बुधवार को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने छह महीने की जेल की सजा सुनायी।

बीसीएल नेता बुलबुल से फोन पर बातचीत की ‘समीक्षा’ के बाद सुनायी गयी सजा

ढाका के ‘डेली स्टार’ अखबार की खबर के अनुसार न्यायाधीश मोहम्मद गुलाम मुर्तजा मजूमदार के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-1 के तीन सदस्यीय पीठ ने अपदस्थ अवामी लीग की नेता से संबंधित लीक हुई फोन पर बातचीत के अंश की समीक्षा के बाद यह आदेश पारित किया। फोन पर बातचीत के अंश पिछले वर्ष सोशल मीडिया पर प्रसारित हुए थे। पिछले साल अगस्त में पद छोड़ने के बाद से यह पहली बार है जब 72 वर्षीय नेता को किसी मामले में सजा सुनायी गयी है।

‘ऑडियो क्लिप’ में अपदस्थ प्रधानमंत्री बुलबुल से कर रहीं बात

‘ऑडियो क्लिप’ में अपदस्थ प्रधानमंत्री को गोविंदगंज उपजिला के पूर्व अध्यक्ष और प्रतिबंधित बांग्लादेश छात्र लीग (बीसीएल) के नेता शकील अकंद बुलबुल से कथित तौर पर ये कहते सुना जा सकता है - मेरे खिलाफ 227 मामले दर्ज हैं, इसलिए मुझे 227 लोगों को मारने का लाइसेंस मिल गया है। न्यायाधिकरण ने बयान को अवमाननापूर्ण और अदालत को कमजोर करने का सीधा प्रयास माना।

बुलबुल को भी दो महीने की जेल की सजा सुनायी

सरकारी समाचार एजेंसी ‘बीएसएस’ (बांग्लादेश समाचार एजेंसी) के अनुसार न्यायाधिकरण ने बुलबुल को भी दोषी ठहराया और दो महीने के कारावास की सजा सुनायी। न्यायाधिकरण ने अपने फैसले में कहा कि सजा की अवधि उनकी गिरफ्तारी या आत्मसमर्पण के दिन से लागू होगी। पिछले साल पांच अगस्त को देश में छात्रों के नेतृत्व वाले एक बड़े आंदोलन के बाद हसीना को अपदस्थ कर दिया गया था, जिसके बाद उन्हें ढाका छोड़कर जाना पड़ा था।

अवामी लीग के ज्यादातर नेता गिरफ्तार या फिर देश-विदेश में छिपे

हसीना के पद से हटने के बाद 84 वर्षीय नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में पदभार संभाला था। अवामी लीग के अधिकतर नेता और कई अधिकारी सहित पिछली सरकार के मंत्री गिरफ्तार कर लिये गये या देश-विदेश में छिपे हुए हैं। सरकार ने विद्रोह को दबाने के लिए की गयी क्रूर कार्रवाई को लेकर इन नेताओं और अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा शुरू किया है, जिसमें छात्रों सहित सैकड़ों लोग मारे गये थे।

logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in