

कोलकाता: बंगाल के सरकारी स्कूलों में प्रतिदिन सुबह राज्यगीत - 'बांग्लार माटी बांग्लार जल' गाने के निर्देश को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। यह निर्देश पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि सभी मान्यता प्राप्त अपर प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूलों में यह गीत हर सुबह की प्रार्थना सभा में गाया जाए।
हालांकि, गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) के प्रमुख अनीत थापा ने स्पष्ट किया है कि यह आदेश दार्जिलिंग पहाड़ी क्षेत्र के जीटीए के अंतर्गत आने वाले स्कूलों पर लागू नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जीटीए एक स्वायत्त प्रशासनिक इकाई है और यहां की सांस्कृतिक विविधता, भाषा और परंपराओं का विशेष महत्व है।
अनीत थापा ने कहा, दार्जिलिंग की संस्कृति सदियों पुरानी है और यहां हर स्कूल की अपनी प्रार्थना और संगीत परंपरा है, जो राष्ट्रगान से पहले गाई जाती है। यह परंपरा आगे भी जारी रहेगी। उनके इस बयान के बाद राज्य में राजनीतिक और सांस्कृतिक बहस तेज हो गई है। कई लोगों का कहना है कि यह निर्णय स्थानीय संस्कृति के सम्मान में लिया गया है, जबकि कुछ इसे राज्य की एकता के लिए चुनौती मान रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि 'बांग्लार माटी बांग्लार जल' गीत रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया है और इसे पश्चिम बंगाल का राज्यगीत घोषित किया गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य सरकार जीटीए क्षेत्र को इस नियम से छूट देने पर पुनर्विचार करती है या नहीं।