गैर-यूरिया उर्वरकों पर 37,952 करोड़ रुपये की सब्सिडी को मंजूरी
नाइट्रोजन और पोटाश के लिए सब्सिडी दर में बदलाव नहीं
नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को आठवें वेतन आयोग के कार्य क्षेत्र एवं नियम शर्तों को मंजूरी दे दी। आयोग की सिफारिशों के एक जनवरी, 2026 से लागू होने की संभावना है। इस फैसले से करीब 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 69 लाख पेंशनभोगियों को लाभ होगा। मंत्रिमंडल ने साथ ही चालू 2025-26 रबी सत्र के लिए गैर-यूरिया उर्वरकों फॉस्फोरस और सल्फर पर 37,952 करोड़ रुपये की सब्सिडी को मंजूरी दी हालांकि नाइट्रोजन और पोटाश के लिए सब्सिडी दर में बदलाव नहीं किया गया है। ये दरें एक अक्टूबर, 2025 से 31 मार्च, 2026 तक प्रभावी रहेंगी।
जस्टिस रंजना देसाई आयोग की अध्यक्ष
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यहां संवाददाताओं को बताया कि इस आयोग को गठन की तारीख से 18 महीने के भीतर अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपनी होंगी। यह आयोग सरकार को एक अंतरिम रिपोर्ट भी प्रस्तुत करेगा। आयोग की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई करेंगी। भारतीय प्रबंध संस्थान (IIM) बेंगलूर के प्रोफेसर पुलक घोष को आयोग का अंशकालिक सदस्य नामित किया गया है जबकि पेट्रोलियम सचिव पंकज जैन इसके सदस्य-सचिव होंगे।
एक जनवरी, 2026 से प्रभावी होगी सिफारिश आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने की तारीख के बारे में पूछे जाने पर वैष्णव ने कहा कि विशिष्ट तिथि अंतरिम रिपोर्ट आने के बाद ही तय की जायेगी लेकिन संभावना है कि यह एक जनवरी, 2026 से प्रभावी होगी। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें जनवरी, 2015 से लागू हुई थीं। एक केंद्रीय कर्मचारी के वेतन में मूल वेतन लगभग 51.5 फीसदी, महंगाई भत्ता 30.9 फीसदी, HRA 15.4 फीसदी,और यात्रा भत्ता 2.2 फीसदी होता है।
फॉस्फेट और सल्फर की सब्सिडी बढ़ी
वैष्णव ने मंत्रिमंडल के कृषि संबंधी फैसलों के बारे में बताया कि चालू रबी सत्र के लिए फॉस्फेट सब्सिडी को 43.60 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़ाकर 47.96 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया है। इसी प्रकार सल्फर की सब्सिडी 1.77 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़ाकर 2.87 रुपये प्रति किलोग्राम कर दी गयी है। दूसरी ओर नाइट्रोजन और पोटाश के लिए सब्सिडी दर क्रमशः 43.02 रुपये प्रति किलोग्राम और 2.38 रुपये प्रति किलोग्राम पर बरकरार है। वर्ष 2025 रबी के लिए स्वीकृत सब्सिडी पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 14,000 करोड़ रुपये अधिक है। पिछले रबी सत्र के दौरान सब्सिडी लगभग 24,000 करोड़ रुपये थी।