

कोलकाता: बांग्लाभाषी लोगों और श्रमिकों के साथ अन्य राज्यों में हो रहे दुर्व्यवहार को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को एक बार फिर भाजपा और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। इसके साथ ही उन्होंने हिरासत शिविरों में रह रहे लोगों के लिए अदालत जाने का संकेत दिया। हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर ‘कोर्ट जाने’ की बात नहीं कही, लेकिन नवान्न में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने संकेत दे दिया कि राज्य सरकार इस मुद्दे को कानूनी मोर्चे पर चुनौती देने की तैयारी में है। इस दिन सीएम ने कहा, क्या भाजपा सरकार जबरन बंगाल को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है? हम ऐसा नहीं होने देंगे। समय आने पर इसे उचित मंच पर चुनौती दी जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि ममता का यह 'चुनौती' वाला बयान दरअसल न्यायपालिका की ओर इशारा करता है।
असम-हरियाणा से मिले सत्यापन पत्र पर ममता भड़कीं
उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले ही 'शहीद दिवस' के मंच से ममता ने चुनावी बिगुल फूंका था। उन्होंने चेताया था कि अगर बिहार की तरह बंगाल में मतदाता सूची से नाम हटाए गए तो जनता आंदोलन करेगी। साथ ही उन्होंने 'बांग्लाभाषी' लोगों पर हो रहे ‘भाषा उत्पीड़न’ का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया था। मंगलवार को मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि हरियाणा और असम से राज्य को 53 संदिग्धों के नाम के साथ पत्र भेजे गए हैं। ममता ने कहा कि ये पत्र बांग्लादेशी होने के संदेह वाले व्यक्तियों के बारे में जानकारी मांगने के लिए भेजे गए हैं। ममता ने पूछा, क्या वे बंगाल पर जबरदस्ती कब्जा करना चाहते हैं? क्या यह फासीवाद नहीं है? अगर हम भी यहां पर रहने वालों के साथ ऐसा करें तो? ममता ने असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा और केंद्र सरकार को भी निशाने पर लिया। उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र की भूमिका पर सवाल उठाया और कहा कि बंगाल में हिंदी भाषियों को कोई समस्या नहीं होती, लेकिन भाजपा शासित राज्यों में बांग्ला बोलने पर लोगों को प्रताड़ित किया जाता है। ममता ने साफ कहा, बंगाल अपनी पहचान और भाषा के लिए हर मंच पर लड़ेगा। इंतजार करें, इसे उचित समय पर उचित मंच पर चुनौती दी जाएगी। सूत्रों की मानें तो जल्द ही इस मसले पर राज्य सरकार उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सकती है।