

कोलकाता: राज्य सरकार ने बकाया महंगाई भत्ता (डीए) देने के लिए अगला कदम उठाने से पहले कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श लेना शुरू कर दिया है। राज्य सचिवालय सूत्रों के अनुसार, सरकार 25 फीसदी डीए वितरण के मुद्दे पर किसी भी नये कदम से पहले विधि विशेषज्ञों की सलाह के आधार पर रणनीति तैयार करेगी।
इस संबंध में अंतिम फैसला खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लेंगी
सूत्रों के अनुसार, राज्य कानूनी प्रकोष्ठ की ओर से दिल्ली और कोलकाता दोनों के पेशेवर कानूनी विशेषज्ञों के साथ समन्वय और परामर्श का काम देख रहे हैं। राज्य के वित्त मंत्री और वित्त सचिव भी इस पर गौर कर रहे हैं। प्रत्येक परामर्श और कानूनी सलाह की निगरानी राज्य के मुख्य सचिव द्वारा की जा रही है और जाहिर है कि इस संबंध में अंतिम फैसला खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लेंगी। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि मामले की संवेदनशीलता और कानूनी पेचीदगियों को ध्यान में रखते हुए अब हर कदम सोच-समझकर और विधिसम्मत तरीके से उठाया जाएगा। उम्मीद है कि परामर्श प्रक्रिया के पूरा होने के बाद सरकार 25 फीसदी डीए के वितरण की दिशा में जरूरी कार्रवाई शुरू करेगी।
राज्य के करीब 8 लाख कर्मचारियों को लाभ होगा
गौरतलब है कि डीए भुगतान को लेकर राज्य के सरकारी कर्मचारियों में लंबे समय से असंतोष बना हुआ है और यह मुद्दा अदालत में भी विचाराधीन है। इससे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संकेत दिया कि उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का पालन करेगी जिसमें राज्य को तीन महीने के भीतर कर्मचारियों को बकाया महंगाई भत्ते (डीए) का 25 प्रतिशत भुगतान करने का निर्देश दिया गया है। गत 19 मई को सीएम ने कहा था कि मैं किसी विचाराधीन मामले पर टिप्पणी नहीं करूंगी। मैं कानूनी प्रावधानों के अनुसार काम करूंगी। शीर्ष अदालत के अंतरिम आदेश से राज्य के करीब 8 लाख कर्मचारियों को लाभ होगा। ऐसे में सरकार की यह पहल महत्वपूर्ण मानी जा रही है।