साइबर क्राइम विंग की बड़ी कार्रवाई, 204 करोड़ की ठगी करने वाला गिरोह धरा गया

लेकटाउन और सोनारपुर में फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़
संवाददाताओं को संबोधित करती डीआईजी साइबर अंजलि सिंह
संवाददाताओं को संबोधित करती डीआईजी साइबर अंजलि सिंह
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कोलकाता : पश्चिम बंगाल की साइबर क्राइम विंग ने सोनारपुर और लेकटाउन थाना क्षेत्र में दो अलग-अलग अभियान चलाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ठगी करने वाले एक बड़े फर्जी कॉल सेंटर गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस कार्रवाई में 4 महिलाओं सहित 21 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अभियुक्त अंग्रेज़ी नामों का इस्तेमाल करते थे ताकि वे विदेशी ग्राहकों को आसानी से धोखा दे सकें। गिरफ्तार अभियुक्तों के नाम शुभजीत सरकार (32) उर्फ डैनियल, लोकनाथ दास (28) उर्फ डैनियल, आकाश शॉ (24) उर्फ मार्क, विष्णु घटक (22) उर्फ पीटर, कौशिक हाजरा (22) उर्फ वेल स्मिथ, संदीपन पांजा (26) उर्फ केविन, जुनैद दीवान (26) उर्फ जेम्स, मोहम्मद अली (22) उर्फ ट्रैविस, राहुल प्रजापति (25) उर्फ जॉर्डन और संतोष गुप्ता (33) उर्फ एलेक्स हैं।

कैसे हुआ फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा

साइबर क्राइम विंग के एक अधिकारी ने बताया कि इससे पहले 31 जनवरी को साइबर क्राइम विंग ने सोनारपुर थाना क्षेत्र में एक अन्य फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया था, जो अमेरिकी नागरिकों को माइक्रोसॉफ्ट कर्मचारी बनकर ठग रहा था। इस मामले में तीन लोग गिरफ्तार हुए थे, जिनमें मुख्य आरोपित जॉय हालदार भी शामिल था। 21 फरवरी को आगे की जांच में शफीकत शफीक (39) को 26 लाख रुपये नकद और 204 करोड़ रुपये की क्रिप्टो करेंसी के साथ गिरफ्तार किया गया था। अभियुक्तों से पूछताछ के बाद उन्हें लेकटाउन स्थित कॉल सेंटर की जानकारी मिली। अवैध रूप से संचालित यह कॉल सेंटर ओस्टेनिक्स सॉल्यूशंस के नाम से चलाया जा रहा था, जिसका सरगना समीर खान बताया जा रहा है। गिरोह के सदस्य ऑस्ट्रेलिया के नागरिकों को नेशनल ब्रॉडबैंड नेटवर्क (एनबीएन) ऑस्ट्रेलिया का कर्मचारी बनकर फोन करते थे और उनसे इंटरनेट अपग्रेड के नाम पर बैंक डिटेल्स लेकर ठगी करते थे।

साइबर क्राइम विंग ने गुप्त सूचना के आधार पर 24 मार्च को लेकटाउन के दक्षिणदाड़ी रोड स्थित कॉल सेंटर पर छापेमारी कर 21 लोगों को गिरफ्तार किया। इनके कब्जे से भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों के बैंकिंग डेटा और 2022 से चल रहे इस गोरखधंधे का रिकॉर्ड बरामद किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि अभियुक्त एक आई बीम नाम के एक वर्चुअल मोबाइल फोन सॉफ्टवेयर का उपयोग करते थे, जिसे फ्रांस और फिनलैंड के विदेशी आईपी एड्रेस से जोड़ा गया था। इससे कॉल करने पर वे खुद को ऑस्ट्रेलियाई ग्राहक सेवा प्रतिनिधि दिखाने में सफल हो जाते थे। साइबर क्राइम विंग अधिकारियों ने मौके से 29 कंप्यूटर, 2 लैपटॉप, 23 मोबाइल फोन, 3 पेन ड्राइव, 2 राउटर, 2 स्विच, 1 हार्ड डिस्क, ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों के बैंकिंग और व्यक्तिगत डेटा से जुड़े दस्तावेज और अटेंडेंस रजिस्टर जहां 2022 से संचालित घोटाले का रिकॉर्ड दर्ज है, बरामद किया है। साइबय़ क्राइम विंग के अधिकारी अभियुक्तों से पूछताछ कर गिरोह से जुड़े अन्य संभावित ठिकानों की जांच कर रहे हैं।

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