

निधि, सन्मार्ग संवाददाता
पानीहाटी : केंद्र सरकार द्वारा सौ दिनों की काम योजना (MGNREGA) से महात्मा गांधी का नाम हटाने के फैसले का मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कड़ा विरोध किया था। इसके जवाब में उन्होंने न केवल राज्य की 'कर्मश्री' योजना का नाम बदलकर 'महात्माश्री' करने की घोषणा की, बल्कि गांधीजी से जुड़ी स्मृतियों को पुनर्जीवित करने का संकल्प भी लिया। इसी कड़ी में सोदपुर खादी प्रतिष्ठान के संरक्षण के लिए राज्य सरकार ने 76 लाख रुपये आवंटित किए हैं। पीडब्ल्यूडी (PWD) को इसके जीर्णोद्धार की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
इतिहास के पन्नों में खादी प्रतिष्ठान
सतीश चंद्र दासगुप्ता द्वारा स्थापित यह संस्थान कभी स्वदेशी आंदोलन का मुख्य केंद्र था। आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय इसके आजीवन अध्यक्ष रहे। 1927 में स्वयं गांधीजी ने इसका उद्घाटन किया था। यह स्थान साबरमती आश्रम के तर्ज पर बनाया गया था, जहां गो-पालन, प्रिंटिंग प्रेस और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां मौजूद थीं। यह परिसर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की कई महत्वपूर्ण घटनाओं का गवाह रहा है। जैसे कि साल 1939 में त्रिपुरी कांग्रेस के बाद, यहीं गांधीजी ने सुभाष चंद्र बोस और जवाहरलाल नेहरू के साथ तीन दिवसीय महत्वपूर्ण बैठक की थी, जिसके बाद बोस ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। वहीं जब नोआखाली में दंगे भड़के, तब गांधीजी इसी खादी भवन में ठहरे थे और यहीं से शांति बहाली के लिए रवाना हुए थे। महात्मा गांधी ने आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) पर अपना पहला भाषण भी इसी परिसर से दिया था।
खादी प्रतिष्ठान को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जायेगा
रखरखाव के अभाव में बदहाल हो चुके इस भवन के उद्धार से स्थानीय लोगों में खुशी की लहर है। पानीहाटी के विधायक निर्मल घोष व नगरपालिका के चेयरमैन सोमनाथ दे ने बताया कि राज्य सरकार इसके संरक्षण का पूरा जिम्मा उठाएगी और नगरपालिका इसमें सहयोग करेगी। खादी प्रतिष्ठान के सदस्यों का मानना है कि यदि इसे एक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाए, तो नई पीढ़ी गांधीजी के विचारों और स्वतंत्रता आंदोलन के इस गौरवशाली अध्याय को करीब से जान पाएगी। उन्होंने कहा कि आवश्यकताअनुसार फंड को बढ़ाया जायेगा।