

नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट को बताया कि नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी तथा अन्य के खिलाफ पहली नजर में धनशोधन का ‘प्रथम दृष्टया मामला’ बनता है। ईडी ने विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने के समक्ष मामले का संज्ञान लेने के संबंध में प्रारंभिक दलीलें पेश कीं। इस बीच, न्यायाधीश ने ईडी को निर्देश दिया कि वह इस मामले में अपने आरोपपत्र की एक प्रति भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी को उपलब्ध कराए, जिनकी निजी शिकायत के आधार पर ईडी ने वर्तमान मामला दर्ज किया था। इस मामले में बहस अभी जारी है।
हाल ही में आरोपपत्र दाखिल करने वाली ईडी ने सन् 2021 में अपनी जांच शुरू की थी, जब एक मजिस्ट्रेट अदालत ने 26 जून 2014 को सुब्रह्मण्यम स्वामी की ओर से दायर एक निजी शिकायत पर संज्ञान लिया था। नेशनल हेराल्ड धनशोधन मामले में ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि अभियुक्त तब तक ‘अपराध की आय का आनंद ले रहे थे’ जब तक कि ईडी ने नवंबर 2023 में नेशनल हेराल्ड से जुड़ी 751.9 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त नहीं कर ली थी।
ईडी ने किया दावा
ईडी ने कोर्ट में चौंकाने वाला दावा किया है। उसने कोर्ट के सामने दलील में कहा कि प्रथम दृष्टया सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, सुमन दुबे और अन्य ने धनशोधन से 142 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की है। अत: उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया धनशोधन का मामला बनता है। ईडी ने आगे दावा किया कि ‘गांधी परिवार’ ने न केवल अपराध से प्राप्त धन को अर्जित कर धनशोधन किया, बल्कि उस पैसे को अपने पास भी रखा। ईडी ने कहा, ‘जब अभियुक्तों ने अपराध की आय अर्जित की है तो उन्होंने धनशोधन किया, लेकिन उस आय को अपने पास रखे रहना भी धनशोधन माना जाता है। यह न केवल प्रत्यक्ष है, बल्कि अप्रत्यक्ष भी है, जो अपराध की आय का अधिग्रहण है।’ ईडी ने सन् 2021 में अपनी जांच शुरू करने के बाद हाल ही में अपना आरोपपत्र दाखिल किया।
सिंघवी ने की सुनवाई टालने की मांग
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस मामले की सुनवाई जुलाई तक टालने की मांग की है। उन्होंने कोर्ट से कहा कि उनको हाल ही में चार्जशीट की कॉपी मिली है, जिसको पढ़ने में समय लगेगा। ईडी की तरफ से एएसजी एसवी राजू ने सुनवाई टालने की मांग का विरोध करते हुए कहा कि पिछली सुनवाई पर ही चार्जशीट की कॉपी दी गयी थी और उसके बाद बुधवार को सुनवाई के लिए केस लगा था। उस समय किसी भी तरह की आपत्ति नहीं जतायी गयी थी, लेकिन अब सुनवाई टालने की मांग की जा रही है। हम आज ही सुनवाई के लिए तैयार हैं।
यंग इंडिया कंपनी का कोर्ट में जिक्र
ईडी ने कोर्ट से कहा कि यंग इंडिया कंपनी का स्वामित्व हमेशा सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास रहा है। उसने दावा करते हुए कहा,‘यंग इंडिया ने कभी कोई बिजनेस एक्टिविटी नहीं की थी, उसका काम बस सोनिया गांधी और राहुल गांधी को फायदा पहुंचाना था। हमने 21 जगहों पर छापामारी की थी, जिसमें 51 लाख के आसपास नकदी बरामद हुई थी और कई आपत्तिजनक साक्ष्य भी बरामद हुए थे।
क्या है नेशनल हेराल्ड मामला ?
नेशनल हेराल्ड मामले में पहली शिकायत सन् 2012 में दर्ज की गयी थी। हालांकि, ईडी ने सन् 2014 में धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामले की जांच शुरू की। यह तब हुआ, जब एक ट्रायल कोर्ट ने सन् 2012 में सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से दायर एक निजी आपराधिक शिकायत के आधार पर अनियमितताओं की आयकर जांच का संज्ञान लिया था।
आरोपों के अनुसार सन् 2010 में, नेशनल हेराल्ड प्रकाशित करने वाली एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) में 1,057 शेयरधारक थे। सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत के अनुसार, गांधी परिवार ने धोखाधड़ी, आपराधिक गबन और विश्वासघात के जरिए यंग इंडियन लिमिटेड (वाईआईएल) का इस्तेमाल कर एजेएल का अधिग्रहण किया। सन् 2008 में भारी कर्ज के बोझ तले दबी एजेएल ने वित्तीय तंगी का हवाला देते हुए नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन बंद कर दिया।
दो साल बाद वाईआईएल बना। सोनिया और राहुल गांधी के पास इसके 38-38 फीसदी शेयर थे, जो संयुक्त रूप से 78 फीसदी था। चूंकि एजेएल पर कांग्रेस का 90.25 करोड़ रुपये बकाया था, इसलिए पार्टी ने 50 लाख रुपये में इस लोन को वाईआईएल को हस्तांतरित कर दिया। इस हस्तांतरण के साथ ही एजेएल का नियंत्रण वाईआईएल को हस्तांतरित हो गया, अब इस पर अब एजेएल का 99 प्रतिशत स्वामित्व है। ये सारे बदलाव राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) या किसी अन्य नियामक संस्था की निगरानी के बगैर किया गया। जिससे इस लेन-देन पर सवाल उठने लगे। मामले में 2 से 8 जुलाई तक रोजाना सुनवाई होगी।