पॉक्सो मामले के अभियुक्त के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द

जाने क्या है पूरा मामला
पॉक्सो मामले के अभियुक्त के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द
Published on

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) मामले के एक अभियुक्त को सरकारी अस्पताल में सामुदायिक सेवा करने और ‘युद्ध हताहत सेना कल्याण कोष’ में 50,000 रुपये जमा करने का निर्देश दिया है। साथ ही न्यायालय ने उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया।

न्यायमूर्ति संजीव नरूला के पीठ ने एक नाबालिग स्कूली छात्रा को पैसे की मांग पूरी न करने पर उसकी निजी तस्वीरें सार्वजनिक करने की धमकी देने वाले अभियुक्त के आचरण को अस्वीकार करते हुए कहा कि इस तरह का व्यवहार ‘डिजिटल मंच के घोर दुरुपयोग’ और ‘सहमति और निजी गरिमा के प्रति चिंताजनक अनादर’ को दर्शाता है। पीठ ने कहा कि आरोप ‘निस्संदेह गंभीर’ हैं, जिसमें एक नाबालिग लड़की के उत्पीड़न और शोषण के आरोप शामिल हैं, जो ‘सोशल मीडिया युग के नकारात्मक पहलुओं’ का प्रतीक है, जहां नियंत्रण करने, भय पैदा करने और गरिमा से समझौता करने के लिए प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग किया जाता है। पीठ ने कहा कि आमतौर पर ऐसे आरोपों की प्राथमिकी रद्द नहीं की जा सकती लेकिन कानून पीड़िता की निजता, गरिमा और मुकदमा समाप्त करने के अधिकार के प्रति समान रूप से सजग है। पीठ ने 27 मई के अपने फैसले में कहा कि शिकायती ने स्पष्ट रूप से इस स्थिति से आगे बढ़ने की इच्छा व्यक्त की है तथा इस आपराधिक मामले के लंबित रहने से उस पर पड़ने वाले सामाजिक और भावनात्मक बोझ का जिक्र किया है, विशेष रूप से उसके विवाह सहित भविष्य की संभावनाओं के संदर्भ में।

संबंधित समाचार

No stories found.

कोलकाता सिटी

No stories found.

खेल

No stories found.
logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in