

नयी दिल्ली : शिक्षा मंत्रालय ने लोकपाल की शिकायत के बाद भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) में कथित वित्तीय अनियमितताओं को उजागर किया है। सूत्रों के अनुसार परिषद में 5 करोड़ रुपये की अनियमितताएं हुई हैं जो मंत्रालय की जांच के दायरे में हैं। मंत्रालय की आंतरिक लेखापरीक्षा में पाया गया कि बिना उचित मंजूरी लिए ‘लापरवाही से खर्च’ किया गया। लेखापरीक्षा में पूर्व सदस्य सचिव उमेश अशोक कदम समेत परिषद के 10 अधिकारियों की भूमिका इस अनियमिता में सामने आयी है। कदम फिलहाल जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं।
अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही 2023 में आईसीएचआर से इस्तीफा दे चुके कदम ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उन्होंने संबंधित प्रशासन को सारी सूचनाएं दी थी और अनुमोदन प्राप्त किये थे।
लोकपाल की शिकायत में जिन कथित अनियमितताओं का उल्लेख किया गया है उनमें परिषद के भवन की अनधिकृत मरम्मत और नवीनीकरण, उच्च लागत पर पुस्तकों की खरीद और प्रकाशन, प्रदर्शनियों पर अत्यधिक व्यय और लैपटॉप एवं प्रोजेक्टर की खरीद आदि शामिल हैं। आरोप है कि इन सभी व्यय के लिए निर्धारित मानदंडों के अनुसार अनुमोदन नहीं लिया गया था।