वित्त मंत्री ने संसद में पेश किया नया इनकम टैक्स बिल, जानें प्रमुख बदलाव

जानें प्रमुख बदलाव और उनके प्रभाव
वित्त मंत्री ने संसद में पेश किया नया इनकम टैक्स बिल,  जानें प्रमुख बदलाव
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नई‌ दिल्ली - वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में नया इनकम टैक्स बिल पेश किया है, जिसका उद्देश्य मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट, 1961 को आम आदमी के लिए सरल बनाना और मुकदमेबाजी को कम करना है। इस एक्ट के लागू होने के बाद से अब तक 66 बजट पेश किए जा चुके हैं।

हालांकि, कई टैक्सपेयर्स इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या नया टैक्स बिल वाकई कानूनों को उतना ही सरल बना पाएगा, जैसा कि इसका उद्देश्य है। आइए जानते है कुछ प्रमुख बदलावों के बारे में, जो नए इनकम टैक्स बिल 2025 के बाद टैक्सपेयर्स पर सबसे अधिक प्रभाव डाल सकते हैं।

टैक्स ईयर का कॉन्सेप्ट पेश किए जाने की संभावना

नए इनकम टैक्स बिल में "टैक्स ईयर" का कॉन्सेप्ट पेश किए जाने की संभावना है, जिसे टैक्सपेयर्स को असेसमेंट ईयर और पिछले साल से जुड़ी परेशानियों से बचाने के लिए लाया जा सकता है। कई टैक्सपेयर्स टैक्स जमा करते समय और रिटर्न फाइल करते समय असेसमेंट ईयर और फाइनेंशियल ईयर के बीच भ्रमित हो जाते हैं। टैक्स ईयर के कॉन्सेप्ट के माध्यम से टैक्सपेयर्स को यह समझने में आसानी होगी कि वे किस वर्ष के लिए आईटीआर फाइल कर रहे हैं और टैक्स का भुगतान कर रहे हैं।

 सेक्‍शन में बदलाव

नए इनकम टैक्स बिल में सेक्शन में बदलाव की संभावना जताई जा रही है। उदाहरण के तौर पर, वर्तमान इनकम टैक्स एक्ट में इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग को सेक्शन 139 के तहत कवर किया गया है, जबकि न्यू टैक्स रेजीम को सेक्शन 115BAC के तहत शामिल किया गया है। अब नए इनकम टैक्स बिल में इन सेक्शन्स में बदलाव हो सकता है, क्योंकि डायरेक्ट टैक्स लॉ की भाषा को सरल बनाने की योजना है। इस सुधार के चलते इनकम टैक्स एक्ट, 2025 के सेक्शन्स में बदलाव हो सकते हैं।

टैक्सपेयर के लिए आसान हो जाएगा काम

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नियमों को सरल बनाने के उद्देश्य से वे आमदनी जो कुल इनकम का हिस्सा नहीं बनती, उन्हें अब अनुसूचियों में ट्रांसफर कर दिया गया है। इसके अलावा, वेतन से जुड़ी कटौतियां जैसे स्टैंडर्ड डिडक्शन, ग्रेच्युटी, लीव एनकैशमेंट आदि अब अलग-अलग सेक्शन्स और नियमों में न होकर एक ही जगह पर सूचीबद्ध कर दी गई हैं। नए इनकम टैक्स एक्ट में व्यवसायों के लिए डेप्रिसिएशन की कैलकुलेशन अब एक सूत्र के माध्यम से सरल बनाई गई है।

डिजिटल एसेट्स को लेकर सख्ती

इस नए इनकम टैक्स ‌बिल में वर्चुल डिजिटल एसेट्स जैसे क्रिप्टोकरेंसी पर कई नियमों को सख्त किया जा सकता है। यह सख्ती डिजिटल पेमेंट को पारदर्शी बनाने और टैक्स चोरी रोकने के लिए की जाएगी।

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