नयी दिल्ली : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत से आयात पर 25 प्रतिशत के टैरिफ के ऐलान के बीच सरकार ने स्पष्ट किया है कि पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट खरीदने के मुद्दे पर अभी अमेरिका से कोई औपचारिक चर्चा नहीं हुई है।
अमेरिका की नाराजगी की वजह?
बताया जाता है कि भारत ने ट्रंप की लड़ाकू विमान खरीदने की पेशकश को ठुकरा दिये जाने से अमेरिका नाराज है। जिस तरह से ट्रंप ने भारत के खिलाफ अचानक ‘कड़ा रुख’ अपनाना शुरू किया है, उससे आशंका जतायी जा रही है कि नाराजगी की यह वजह हो सकती है। पहले ट्रंप भारत से आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया और फिर भारतीय अर्थव्यस्था को ‘डेड इकोनॉमी’ बता दिया क्योंकि भारत रूस से तेल खरीदने की उसकी मनाही के दबाव में झुकने के लिए तैयार नहीं हुआ। इसके अलावा भारत को जिस तरह के अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों की आवश्यकता है, उसमें रूसी विमान भी महत्वपूर्ण विकल्पों में शामिल है।
विदेश मंत्रालय ने की चर्चा नहीं होने की पुष्टि
महाराष्ट्र से कांग्रेसी सांसद बलवंत बसवंत वानखड़े ने लोकसभा में विदेश मंत्रालय से 3 सवालों के जवाब मांगे थे, जिसमें से एक सवाल एफ-35 की खरीद पर था। विदेश मंत्रालय ने जवाब में लिखा है कि गत 13 फरवरी को राष्ट्रपति ट्रंप के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक के बाद भारत-अमेरिका साझेय बयान में बताया गया है कि अमेरिका भारत के लिए पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों (जैसे एफ-35) और समुद्र के नीचे की प्रणालियों (अंडर सी सिस्टम्स) को जारी करने पर पर अपनी नीति की समीक्षा करेगा। इस मुद्दे पर अभी तक कोई औपचारिक चर्चा नहीं हुई है। भारत के विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी उस वक्त दी जब एक दिन पहले ब्लूमबर्ग ने रिपोर्ट छापी थी कि भारत ने अमेरिका को सूचित किया है कि वह एफ-35 स्टील्थ फाइटर जेट खरीदने का इच्छुक नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को निशाने पर लेकर पहले ही 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। ऐसे में भारत अपने आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए संभल कर व्यवहारिक कदम उठा रहा है।
भारत बदले की कार्रवाई में नहीं ‘उलझेगा’
ब्लूमबर्ग ने मामले से परिचित लोगों के हवाले से रिपोर्ट प्रकाशित की है कि भारत 25 प्रतिशत के इस भारी-भरकम टैरिफ के खिलाफ बदले की कार्रवाई में नहीं उलझेगा। रिपोर्ट के अनुसार भारत वॉइट हाउस को शांत करने के लिए विकल्पों पर विचार कर रहा है, जिसमें अमेरिकी आयात को बढ़ावा देना भी शामिल है। उन्होंने कहा कि सरकार द्विपक्षीय व्यापार वार्ता को पटरी पर रखने के लिए उत्सुक है और अपने सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार से खरीदारी बढ़ाने के तरीके तलाश रही है।
अतिरिक्त रक्षा उपकरण खरीदने की संभावना नहीं!
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार भले ही भारत सरकार अमेरिकी सामानों की खरीद को बढ़ावा देने पर विचार कर रही है लेकिन अमेरिका से अतिरिक्त रक्षा उपकरण खरीदने की संभावना नहीं है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि भारत ने अमेरिका को सूचित किया है कि वह एफ-35 स्टील्थ लड़ाकू विमान खरीदने का इच्छुक नहीं है। फरवरी में मोदी की वौइट हाउस यात्रा के दौरान ट्रंप ने भारत को महंगे फाइटर जेट बेचने की पेशकश की थी हालांकि अधिकारियों ने कहा कि मोदी सरकार घरेलू स्तर पर रक्षा उपकरणों को मिलकर डिजाइन करने और बनाने वाली साझेदारी में अधिक रुचि रखती है।