

निधि, सन्मार्ग संवाददाता
नदिया : राज्य में एसआईआर (SIR) यानी स्ट्रक्चरल आइडेंटिफिकेशन रजिस्टर को लेकर चल रहे डर और गंभीर आशंका के कारण कथित तौर पर आत्महत्या का एक हृदय विदारक मामला सामने आया है। नदिया जिले के रानाघाट में 60 वर्षीय सुशांत विश्वास ने अपने घर में फांसी लगाकर जीवन लीला समाप्त कर ली। परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्हें एसआईआर के कारण घर से बेदखल होने का खौफ सता रहा था, जिसके चलते उन्होंने यह अतिवादी कदम उठाया।
यह दुखद घटना आज, रविवार सुबह धानतल्ला थाना क्षेत्र के माटीकुमड़ा मध्यपाड़ा इलाके में हुई, जब सुशांत विश्वास को उनके कमरे में गमछे से लटका हुआ पाया गया। सूचना मिलने पर रानाघाट पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस ने मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी है।यह दुखद घटना आज, रविवार सुबह धानतल्ला थाना क्षेत्र के माटीकुमड़ा मध्यपाड़ा इलाके में हुई, जब सुशांत विश्वास को उनके कमरे में गमछे से लटका हुआ पाया गया। सूचना मिलने पर रानाघाट पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस ने मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी है।
यह दुखद घटना आज, रविवार सुबह धानतल्ला थाना क्षेत्र के माटीकुमड़ा मध्यपाड़ा इलाके में हुई, जब सुशांत विश्वास को उनके कमरे में गमछे से लटका हुआ पाया गया। सूचना मिलने पर रानाघाट पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस ने मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी है।
मृतक सुशांत विश्वास की पत्नी, नमिता विश्वास, ने इस पूरे मामले में एसआईआर के प्रति व्याप्त अकारण डर को जिम्मेदार ठहराया है। नमिता विश्वास ने आरोप लगाया है कि एसआईआर को लेकर शुरू हुई चर्चाओं के बाद से ही उनके पति गहरे आतंक में थे।
उन्होंने बताया कि डर इतना अधिक था कि उनके पति ने लोगों से बातचीत करना लगभग बंद कर दिया था और वे हर वक्त इसी विषय में सोचते रहते थे। हालांकि सुशांत विश्वास ने सरकारी निर्देशों के अनुसार एसआईआर का फॉर्म भी भर दिया था, लेकिन इसके बावजूद उनका मानसिक तनाव कम नहीं हुआ। उन्हें लगातार यह डर सता रहा था कि मतदाता सूची से उनका नाम काट दिया जाएगा और उन्हें अपना आशियाना छोड़कर विस्थापित होना पड़ेगा।
परिवार के सदस्यों ने बताया कि सुशांत विश्वास के डर का एक कारण यह था कि 2002 की मतदाता सूची में उनकी माँ का नाम तो था, लेकिन उन्हें आशंका थी कि किसी तकनीकी कमी के कारण कहीं उनका नाम छूट न जाए। उनके पड़ोसियों और शुभचिंतकों ने भी उन्हें कई बार समझाने और शांत करने की कोशिश की थी कि उन्हें किसी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा, लेकिन यह खौफ इतना गहरा था कि किसी भी तरह की समझाइश उन पर बेअसर रही।
रानाघाट पुलिस फिलहाल मामले की जांच कर रही है, हालांकि पुलिस को मौके से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। एसआईआर के नाम पर राजनीतिक गलियारों में चल रही बयानबाजी के बीच इस आत्महत्या की घटना ने क्षेत्र में गंभीर चिंता और तनाव पैदा कर दिया है।