इजरा स्ट्रीट की घटना से भी नहीं खुलीं आंखें

झूलते तारों को हटाने की नहीं हुई शुरुआत
इजरा स्ट्रीट की घटना से भी नहीं खुलीं आंखें
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मुनमुन, सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : गत शनिवार को इजरा स्ट्रीट में लगी भयावह आग और इससे हुई तबाही के बावजूद लोगों की आंखें नहीं खुली हैं। लोग कई दिनों तक तो इस भयानक घटना के बाबत चर्चा करते रहे पर वक्त अपनी पटरी पर फिर से लौट आया है। सोमवार को केएमसी मुख्यालय में मेयर फिरहाद हकीम की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई थी। इसमें मेयर ने सख्त निर्देश देते हुए कहा था कि शहर की मुख्य सड़कों से लेकर महत्वपूर्ण गलियों तक, जहां-जहां ओवरहेड केबल और बिजली के तार लटक रहे हैं उन्हें तुरंत हटाकर अंडरग्राउंड डक्ट सिस्टम में बदल दिया जाए। पर इस दिशा में अभी तक कोई पहल नहीं हुई है। घटना के दिन तो झूलते और बेतरतीब बिजली के तारों पर चर्चा तो बहुत हुई थी, पर इसमें बदलाव लाने की पहल नहीं दिख रही है। बड़ाबाजार, सीआर एवेन्यू, रवीन्द्र सरणी, बीके पाल समेत आसपास के कई घनी आबादी वाले इलाकों में हालात जस के तस बने हुए हैं। तारों का यह मकड़जाल यूं ही फैला हुआ है। मेयर ने आदेश तो दिया है पर अब पहल का इंतजार है।

असुरक्षा का बोझ ढो रहे पुराने तार

बड़ाबाजार स्थित दुकानदार राजेश गुप्ता ने बताया कि बड़ाबाजार में तो वर्षों लैंप पोस्ट पर पड़े बेकार केबल या इंटरनेट के तार ऐसे ही झूलते रहते हैं। बिजली विभाग इसके बाद भी यथास्थिति की मुद्रा में है। इसी वजह से बड़ाबाजार क्षेत्र में सबसे ज्यादा आग लगने की घटनाएं घटती हैं। उन्होंने कहा कि जब कोई बड़ी दुर्घटना होती है तब प्रशासन ध्यान देता है। वहीं कृष्णा दास ने बताया कि बड़ाबाजार थाना के पास कई महीनों पहले दो ट्रांसफार्मरों में ब्लास्ट हो गया था। लोगों का कहना है कि पुराने तारों को हटाये बगैर नये तार मनमाने ढंग से झूला दिये जाते हैं। इस वजह से जोखिम भी कई गुना बढ़ जाता है।

भीड़भाड़ वाले बाजारों में बढ़ा जोखिम

बाड़ाबाजार के व्यापारियों का कहना है कि इस तरह की घोर लापरवाही के कारण कभी भी बड़ी दुर्घटना घट सकती है। यह इलाका पहले से ही अत्यधिक भीड़भाड़ वाला है, आग लगने पर दमकल इंजनों को आने में भारी परेशानी होती है। बिजली व अन्य तारों की भरमार के कारण फायर लैडर लगाना मुश्किल हो जाता है। लोगों की मांग है कि पुराने तारों को हटाकर नये तार लगाए जाए। जहां तक संभव है तारों को तत्काल भूमिगत किया जाए। घनी आबादी वाले व्यावसायिक क्षेत्रों में फायर फाइटिंग व्यवस्था की जांच बराबर की जाए। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो इजरा स्ट्रीट जैसी विनाशकारी घटनाएं फिर घट सकती हैं और इसका खामियाजा सीधे तौर पर आम लोगों को भुगतना पड़ेगा।

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