भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था

पुलिस डीजीपी वाई बी खुरानिया ने की अहम बैठक
भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था
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कटक : ओडिशा पुलिस ने इस महीने के अंत में होने वाली भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथयात्रा के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की है। पुलिस डीजीपी वाई बी खुरानिया ने सोमवार को खुफिया, कानून व्यवस्था, रेल एवं तटीय सुरक्षा से जुड़े शीर्ष पुलिस अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की। डीजीपी ने उन्हें संभावित भगदड़ की स्थिति, अपराधियों के खिलाफ अभियान और श्रद्धालुओं की सुविधाओं जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान देने का आदेश दिया।

अधिकारी ने कहा कि डीजीपी ने ‘के9’ दस्ते या ‘डॉग स्क्वॉड’ (श्वान दस्ते) की तैनाती पर भी जोर दिया। रथयात्रा के दौरान कई केंद्रीय मंत्रियों और कई वीवीआईपी (अति विशिष्ट अतिथियों) के पुरी आने की संभावना है क्योंकि मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने कई केंद्रीय मंत्रियों और राजग शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को रथयात्रा के दौरान पुरी आने के लिए आमंत्रित किया है। पिछले साल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पुरी में रथयात्रा उत्सव देखा था।

डीजीपी ने यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाने, अवरोधकों की व्यवस्था करने तथा जिला प्रशासन के साथ मिलकर विभिन्न समस्याओं का त्वरित समाधान करने के निर्देश भी दिए। बैठक में आपातकालीन स्थितियों से निपटने के मुद्दे पर भी चर्चा की गयी। बैठक में शहर के विभिन्न महत्वपूर्ण स्थानों पर सीसीटीवी लगाने, सड़क पर ‘डिवाइडर’ लगाने, यातायात प्रबंधन के लिए ‘ट्रैफिक जोन’ बनाने, शहर के विभिन्न स्थानों पर पर्याप्त पार्किंग व्यवस्था करने, यातायात व्यवस्था को व्यवस्थित बनाए रखने आदि पर चर्चा की गयी।

इसी तरह समुद्र तट पर पुलिस द्वारा गश्त करने तथा वहां अस्थायी पुलिस चौकी खोलने पर भी विस्तार से चर्चा की गयी। ओडिशा पुलिस को रथयात्रा उत्सव के दौरान लाखों श्रद्धालुओं के जुटने की उम्मीद है। यह उत्सव करीब एक पखवाड़े तक मनाया जाता है। भगवान का स्नान समारोह ‘स्नान यात्रा’ 11 जून को मनाया जाएगा, जबकि रथयात्रा और रथ खींचने का कार्यक्रम 27 जून को है। रथ खींचने के कार्यक्रम से एक दिन पहले 26 जून को ‘नवयौवन दर्शन’ (भगवान के नए रूप का दर्शन) के दिन भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पुरी में जुटते हैं। एक जुलाई को हेरा पंचमी उत्सव मनाया जाएगा, उसके बाद 4 जुलाई को संध्या दर्शन और 5 जुलाई को बाहुड़ा यात्रा (रथ वापसी उत्सव) होगी। 6 जुलाई को सोना वेश (रथ पर स्वर्ण पोशाक), 7 जुलाई को अधरपणा (पेय प्रसाद) अनुष्ठान और अंत में 8 जुलाई को नीलाद्रि बिजे (मंदिर में वापसी) के साथ रथयात्रा उत्सव का समापन होगा।

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