
सन्मार्ग संवाददाता
जलपाईगुड़ी : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) बामनडांगा तांडू और सामसिंग डुआर्स के दो चाय बागानों को अपने कब्जे में लेने जा रहा है। बुधवार को जैसे ही यह खबर चाय बागानों में पहुंची, मजदूरों में हड़कंप मच गया। मजदूरों का दावा है कि बागान अब काफी अच्छे से चल रहे हैं। इसके बावजूद ईडी को बागानों को अपने कब्जे में क्यों लेना चाहिए? हम चाहते हैं कि बागान खुले रहें और ईडी जो चाहे करे। मजदूरों की बातों से साफ है कि अगर ईडी चाय बागानों को अपने कब्जे में लेता है तो मजदूर इसका कड़ा विरोध करेंगे। मेटेली के सामसिंग चाय बागान में 1,000 मजदूर और नागराकाटा के बामनडांगा के तांडू चाय बागान में 1,164 मजदूर काम करते हैं। इसे 2008 में बीएएम शासन के दौरान बंद कर दिया गया था और इसे फिर से खोला गया। ज्ञातव्य है कि जेल में बंद शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के करीबी प्रसन्ना रॉय ने इन दोनों चाय बागानों के प्रबंधन का जिम्मा संभाला था और शिक्षक भर्ती भ्रष्टाचार के कारण चाय बागानों में करोड़ों रुपये निवेश किए थे। इसलिए ईडी इसकी भी जांच कर रहा है और दोनों बागानों को अपने नियंत्रण में लेने जा रहा है। पिछले डेढ़ साल से दोनों चाय बागानों का प्रबंधन ऋतिक भट्टाचार्य नामक नए मालिक द्वारा किया जा रहा है। बामनडांगा बागान में काम करने वाले कैलाश गोप ने कहा कि हमें इतनी समझ नहीं है। चाय बागान पिछले एक साल से भी अधिक समय से ठीक चल रहा है। हम चाहते हैं कि ईडी बागान को खुला रखे और जो चाहे करे। बागान के एक अन्य कर्मचारी संजील कुजूर ने कहा कि अगर बागान बंद हुआ तो कर्मचारी बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। वहीं तृणमूल चाय श्रमिक संघ के उपाध्यक्ष सुशील कुजूर ने कहा कि ईडी को पहले बागान में आना चाहिए।