

नई दिल्ली - चप्पलें चारों ओर बिखरी हुई थीं, जबकि कुछ लोग मदद के लिए चीख रहे थे। जो गिर गए थे, वे मदद के बजाय अपनी जान बचाने के लिए दूसरों को कुचलते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे। लोगों का सामान हर जगह फैला हुआ था और ऐसी भीड़ पहले कभी नहीं देखी गई। अब सवाल यह है कि अपनों से बिछड़े और रोते हुए इन परिवारों के दुख का जिम्मेदार कौन है?
इस पूरी घटना के बारे में प्रत्यक्षदर्शियों ने अपनी पीड़ा साझा की और अपनी आपबीती बताई। उन्होंने सरकार और रेलवे प्रशासन से कई अहम सवाल किए। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि अगर ट्रेन का प्लेटफॉर्म न बदला जाता, तो शायद लोगों की जान नहीं जाती। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ ने यात्रियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। रेलवे प्रशासन को इन सवालों का जवाब देना होगा, खासकर यह कि इतनी बड़ी संख्या में यात्री बिना टिकट के प्लेटफॉर्म पर कैसे पहुंच गए?
प्रति घंटे 1500 जनरल टिकट बेचे गएं
प्रत्यक्षदर्शियों ने यह भी सवाल उठाया कि अगर प्रयागराज के लिए प्रति घंटे 1500 जनरल टिकट बेचे जा रहे थे, तो स्पेशल ट्रेन के प्लेटफॉर्म पर पहुंचने से पहले इन यात्रियों को रेलवे स्टेशन के बाहर क्यों नहीं रोका गया? इन यात्रियों के लिए होल्डिंग एरिया क्यों नहीं तैयार किया गया? शाम करीब चार बजे से यात्रियों की संख्या बढ़ने लगी थी, तो भी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए?
रेलवे ने कि गलत घोषणा
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, प्लेटफॉर्म बदलने की गलत घोषणा के कारण स्थिति में भ्रम फैल गया, जिसके चलते भगदड़ मच गई। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने भी यही बात बताई। जैसे ही घोषणा हुई, लोग एक-दूसरे को धक्का देकर आगे बढ़ने लगे। रेलवे स्टेशन पर पिछले 12 सालों से दुकान चला रहे विक्रेता रवि कुमार ने कहा कि जो लोग गिरे, वे भीड़ में दबकर घायल हो गए।
उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी भीड़ उन्होंने पहले कभी नहीं देखी थी। उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) हिमांशु उपाध्याय ने रविवार को बताया कि घटना के समय पटना जाने वाली मगध एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर खड़ी थी, जबकि नई दिल्ली से जम्मू जाने वाली उत्तर संपर्क क्रांति एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म नंबर 15 पर खड़ी थी।
गलत घोषणा के कारण लोगाें ने गवाई जान
रविवार को मृतकों में से एक के परिवार के सदस्य, पूनम देवी का शव लेने एलएनजेपी अस्पताल पहुंचे। पूनम देवी शनिवार रात बिहार अपने घर जा रही थीं। उनके रिश्तेदार ने बताया, "स्टेशन पर भारी भीड़ थी और उनकी ट्रेन को प्लेटफॉर्म नंबर 12 पर आना था। लेकिन जैसे ही घोषणा हुई, लोग भागने लगे और जो गिर गए, वे कुचले गए।"
पीड़ितों में एक महिला भी थी, जो अपने परिवार के साथ बिहार के छपरा जा रही थी। उसके बेटे ने आंसू रोकते हुए उस भयावह नुकसान का बयान किया। उसने कहा, "हम एक बड़े समूह में घर जा रहे थे, और मेरी मां ने इस अफरा-तफरी में अपनी जान खो दी। लोग एक-दूसरे को धक्का दे रहे थे, और वह भीड़ में फंस गई।"