गर्भ से ही सीखते हैं बच्चे : डॉ. सोनल जैन

गर्भ से ही सीखते हैं बच्चे : डॉ. सोनल जैन
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सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : गर्भ संस्कार अकादमी की ओर हिंदुस्तान क्लब में गर्भ संस्कार पर आधारित सेशन का आयोजन किया गया। इस दौरान अकादमी की संस्थापक डॉ. सोनल जैन जायसवाल ने बताया कि इस सेशन के जरिए काफी महिलाओं ने अपने मनचाहा बच्चे को जन्म दिया है। गर्भ में पल रहे शिशु का मानसिक विकास महिला के गर्भधारण के बाद से ही शुरू हो जाता है। वह महिला के मूड, विचारों और भावनाओं को समझ सकता है और उन पर प्रतिक्रिया दे सकता है। आयुर्वेद में गर्भ संस्कार बहुत लोकप्रिय है और यह प्रक्रिया आपके बच्चे में बुद्धिमत्ता विकसित करने में मदद करती है। उन्होंने कहा कि अगर एक किसान अपने खेत पर ध्यान नहीं देता तो उसमें खरपतवार उगने लगते हैं, लेकिन जब वह पूर्ण मनोयोग से देखभाल करता है, तभी वांछित फसल उगती है। ठीक उसी प्रकार गर्भ में पल रहे शिशु पर सही तरीके से ध्यान दिया जाए को मनचाहा शिशु को जन्म दिया जा सकता सकती है। गर्भ संस्कार का अर्थ है कि मां गर्भ में ही शिशु को मूल्य, शिक्षा, ज्ञान और संस्कार प्रदान करती है। यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण वैदिक संस्कार है। यह प्रमाणित है कि शिशु के मस्तिष्क का 80 फीसदी विकास गर्भ में ही होता है। मां के आहार, विचार, भावनाएं, चलने-फिरने का तरीका और इच्छाएं गर्भस्थ शिशु पर गहरा प्रभाव डालती हैं। इसलिए मां को पहला और सबसे प्रभावशाली गुरु माना जाता है। गर्भकाल में शिशु को पोषण देना और संस्कार देना एक ऐसा आनंददायक कार्य है, जिसे हर गर्भवती महिला को करना चाहिए। यह सेशन हिंदुस्तान क्लब में संदीप और साधना जैन द्वारा आयोजित किया गया। इसे लायंस क्लब ऑफ कलकत्ता (टालीगंज) के सहयोग से आयोजित किया गया। इसमें हिंदुस्तान क्लब की पूर्व अध्यक्ष संतोष और ललिता जैन, वर्तमान सचिव सीएस सारडा और महिला विंग की अध्यक्ष मानसी कोठारी, समिति के सदस्य लायंस क्लब (टालीगंज) के अध्यक्ष मोहित भूतोड़िया समेत अन्य पदाधिकारी शामिल थे।

गर्भ संस्कार के लाभ

. हर मिनट गर्भ में पल रहे शिशु के मस्तिष्क में 2.5 लाख न्यूरॉन्स बनते हैं

. गर्भाधान के 16वें दिन से मस्तिष्क का विकास शुरू हो जाता है

. अजन्मे बच्चे की बौद्धिक क्षमता, बुद्धि, भावनात्मक क्षमता और बौद्धिक क्षमता का विकास होता है

. गर्भाशय की सुरक्षा में सहायक

. वंशानुगत रोगों को नियंत्रित किया जा सकता है

. मां और अजन्मे बच्चे के बीच एक अटूट बंधन विकसित करने में मदद करता है

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