रसोई पर महंगाई का दोहरा प्रहार: राशन के केरोसिन में भारी उछाल !

डीलर एसोसिएशन ने केंद्र पर लगाया रणनीतिक दबाव का आरोप
Double blow of inflation on kitchen: huge jump in ration kerosene!
सांकेतिक फोटो REP
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निधि, सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता: सर्दी के मौसम की आहट के बीच, केंद्र सरकार द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के उपभोक्ताओं को महंगाई का एक बड़ा झटका दिया गया है। राशन (PDS) के तहत वितरित किए जाने वाले केरोसिन (मिट्टी के तेल) की कीमत में दिसंबर महीने में सीधे ₹4 प्रति लीटर की भारी वृद्धि कर दी गई है। यह लगातार तीसरी बढ़ोतरी है, जिसके कारण पिछले तीन महीनों में केरोसिन की कीमतों में कुल ₹6 रुपये की बढ़ोतरी हो चुकी है।

राज्य के खाद्य विभाग द्वारा तेल कंपनियों की मासिक 'इश्यू प्राइस' के आधार पर यह मूल्य निर्धारण किया जाता है। डीलर संगठनों के आकलन के अनुसार, इस ताजा वृद्धि के बाद कोलकाता में प्रति लीटर केरोसिन की कीमत लगभग ₹67 तक पहुंच जाएगी। वहीं, परिवहन लागत (ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट) जुड़ने के कारण पश्चिम बंगाल के जिलों में इसकी कीमत ₹70 प्रति लीटर के करीब होने की आशंका है।

डीलर एसोसिएशन का गंभीर आरोप:

इस अप्रत्याशित मूल्य वृद्धि को लेकर एसके ऑयल एसोसिएशन व डीलर्स संगठन ने केंद्र सरकार पर सीधा और गंभीर आरोप लगाया है। संगठन ने आशंका व्यक्त की है कि कीमतों में इस तेज उछाल से राशन उपभोक्ताओं के बीच केरोसिन की मांग और भी कम हो जाएगी।

एसोसिएशन के नेता अशोक गुप्ता ने कहा, "देशभर में राशन के माध्यम से केरोसिन का वितरण पूरी तरह से बंद करने की एक हताश कोशिश चल रही है, लेकिन बंगाल सरकार इस नीति में सहयोग नहीं कर रही है। इसलिए राज्य पर दबाव बनाने के लिए लगातार कीमतें बढ़ाई जा रही हैं।"

अशोक गुप्ता ने पर्यावरण से जुड़ा एक महत्वपूर्ण तर्क भी सामने रखा। उन्होंने कहा कि कीमतें बढ़ाने का कारण भले ही पर्यावरण संरक्षण बताया जाए, लेकिन जो परिवार ईंधन के लिए राशन पर निर्भर हैं, वे केरोसिन महंगा होने पर इसे खरीदना बंद कर देंगे। ऐसे में वे खाना पकाने के लिए मजबूरी में लकड़ी का उपयोग करेंगे, जो वास्तव में पर्यावरण के लिए केरोसिन से कहीं अधिक घातक साबित होता है।

एसोसिएशन ने केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जहां लंबे समय से पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं, वहीं गरीब परिवारों के रोजमर्रा के उपयोग में आने वाले केरोसिन की कीमत आसमान छू रही है। डीलर संगठनों ने शिकायत की है कि केंद्र सरकार ने केरोसिन की कीमतों में लगातार हो रही इस वृद्धि का कोई स्पष्ट और तर्कसंगत कारण नहीं बताया है, जिससे यह संदेह गहराता है कि यह मूल्यवृद्धि एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। इस मूल्यवृद्धि से राशन पर निर्भर लाखों गरीब परिवारों के रसोई बजट पर सीधा और नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

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