PAK के आतंकी करतूतों का डोजियर तैयार

पाकिस्तान से फैले आतंकवाद के खिलाफ भारत की ओर से शीघ्र ही होगी सैन्य-कूटनीतिक कार्रवाई
PAK के आतंकी करतूतों का डोजियर तैयार
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नई दिल्ली : वैश्विक आतंकवाद को फलने-फूलने तथा आतंकियों को शरण देने के साथ उनको बढ़ावा देने के संदर्भ में पाकिस्तान का स्थान दुनिया की सबसे खतरनाक और अस्थिर करने वाली ताकतों में से एक बन चुका है। दशकों से पाकिस्तानी जमीन का इस्तेमाल सीमा पार आतंकवाद, उग्रवाद और चरमपंथी विचारधारा के लिए बतौर लॉन्चपैड किया जा रहा है।

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सन् 2018 में कहा था कि पाकिस्तान सरकार ने 2008 के मुंबई हमलों में अहम भूमिका निभाई थी, जो पाकिस्तान स्थित इस्लामी आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा द्वारा किए गए थे। परवेज मुशर्रफ ने भी माना था कि उनकी सेना ने भारत के हिस्से वाले कश्मीर में भारत से लड़ने के लिए आतंकी समूहों को प्रशिक्षित किया था।

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने कुछ ही समय पहले स्वीकार किया था कि पाकिस्तान ने तीन दशकों से अधिक समय तक आतंकी समूहों का समर्थन किया। उन्होंने इसे अमेरिका के नेतृत्व वाली विदेश नीति के फैसलों से जुड़ी एक गलती बताया। पाकिस्तान न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के कई देशों में आतंकवाद को फैलाने का काम कर रहा है। भारत ने एक ‘डोजियर’ तैयार किया है, जिसमें उन घटनाओं का जिक्र है, जहां-जहां पाकिस्तान द्वारा तैयार किए गए आतंकियों ने दहशतगर्दी को अंजाम दिया है।

आतंकी बनाने की फैक्टरी

पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा, वजीरिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में फैले आतंकवादी प्रशिक्षण केंद्र लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिदीन और आईएसआई जैसे संगठनों के आतंकियों को प्रशिक्षण देते हैं। इन कैंपों में पूर्व सैन्यकर्मी हथियार चलाने से लेकर आत्मघाती हमलों की रणनीति उन आतंकियों को सिखाते हैं। सन् 2019 की अमेरिकी रिपोर्ट ‘कन्ट्री रिपोर्ट्स ऑन टेररिज्म’ में पाकिस्तान को बाकायदा आतंकियों के लिए ‘सुरक्षित पनाहगाह’ घोषित किया गया था।

हक्कानी नेटवर्क को पाक का समर्थन

अफगानिस्तान में तालिबान और हक्कानी नेटवर्क द्वारा किए गए हमलों में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की भूमिका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उजागर है। ये आतंकवादी संगठन आईएसआई से न सिर्फ आर्थिक मदद हासिल करते हैं, बल्कि पाकिस्तान उन्हें सुरक्षित पनाहगाह भी देता है। भारतीय दूतावास पर सन् 2008 में हमला तथा काबुल स्थित अमेरिकी दूतावास पर सन् 2011 में हुआ हमला इन संगठनों द्वारा किया गया, जिनकी निगरानी पाकिस्तान की एजेंसियां कर रही थीं। भारत ने अपने डोजियर में कहा है कि वरिष्ठ पत्रकार कारलोटा गॉल ने लिखा कि ये हमले आईएसआई के कुछ ‘भटके हुए’ अधिकारियों द्वारा नहीं बल्कि ऊंचे स्तर पर मंजूर किए गए थे।

ईरान और रूस में भी पाक के आतंकी

जनवरी 2024 में ईरान ने पाकिस्तान पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जिनका लक्ष्य जैश-उल-अदल के ठिकाने थे। इसकी भी बुनियाद पाकिस्तान में थी। रूस के मॉस्को शहर में एक कन्सर्ट हॉल पर हुए आतंकवादी हमले में भी पाकिस्तान का नाम सामने आया था। जांच में पता चला कि हमलावर का संबंध पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क से था।

ब्रिटेन में बम धमाके और बिन लादेन को पनाह

सन् 2005 के लंदन बम धमाकों में शामिल आतंकवादियों ने पाकिस्तान में प्रशिक्षण लिया था। वहीं अल-कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान के ऐबटाबाद में वर्षों तक सुरक्षित शरण पाकिस्तान ने दिया था। वह भी सैन्य अकादमी के बिल्कुल पास! क्या यह महज संयोग था ?

बांग्लादेश और भारत के खिलाफ भी साज़िश

जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के आतंकियों को आईएसआई द्वारा धन और प्रशिक्षण देने के आरोप लग चुके हैं। ढाका के गुलशन कैफे हमले में सन् 2016 में 20 लोगों की मौत हुई थी और इस आतंकी समूह के पीछे भी पाकिस्तान का हाथ होना बताया गया था। एक खुफिया रिपोर्ट के अनुसार सन् 2020 में आईएसआई ने बांग्लादेश के कॉक्स बाज़ार में रोहिंग्या शरणार्थियों को आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए प्रशिक्षित किया था ताकि उनका भारत में घुसपैठ के लिए इस्तेमाल किया जा सके।

पाक सेना और आईएसआई गठबंधन

यूरोपीय फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज़ की रिपोर्ट में उल्लेख है कि पाकिस्तान की सेना, उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई और कट्टरपंथी धार्मिक नेताओं के बीच गहरा और खतरनाक गठबंधन है।सन् 2019 में ब्रिगेडियर शाह ने एक पाकिस्तानी न्यूज चैनल पर स्वीकार किया था कि उनकी सरकार ने जमात-उद-दावा जैसे आतंकी संगठन को ‘मुख्यधारा’ में लाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए थे। पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ ने भी कहा था कि ओसामा बिन लादेन और जवाहिरी जैसे आतंकी पाकिस्तान के ‘हीरो’ थे।

वैश्विक चुप्पी पर प्रश्न

पाकिस्तानी जमीन से फैला वैश्विक आतंकवाद अब किसी एक देश की समस्या नहीं है। अफगानिस्तान, भारत, ईरान, बांग्लादेश, ब्रिटेन, और अब रूस लगभग हर कोने में पाकिस्तान से जुड़ी आतंकवाद की घटनाएं सामने आती रही हैं। ऐसी स्थिति में इस वैश्विक समस्या के साथ पाकिस्तान के संबंधों पर सख्त कार्रवाई अत्यावश्यक है।

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