Donald Trump ने भारत को दी धमकी, कहा- रूस से तेल खरीद रहा, भारी टैरिफ लगाएंगे

donald_trump
Published on

कोलकाता: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत को ‘धमकी’ दी है कि रूसी तेल की खरीद को लेकर भारत पर टैरिफ में ‘भारी वृद्धि ’ करेंगे।

ट्रंप ने सोशल मीडिया पर कहा, ‘भारत न केवल भारी मात्रा में रूसी तेल खरीद रहा है, बल्कि खरीदे गए अधिकांश तेल को खुले बाजार में भारी मुनाफे पर बेच रहा है। उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं है कि रूसी युद्ध मशीन यूक्रेन में कितने लोगों की जान ले रही है। इस वजह से, मैं भारत द्वारा अमेरिका को दिए जाने वाले टैरिफ में भारी वृद्धि करूंगा।’

ट्रंप ने पिछले हफ्ते भारतीय आयात पर 25 प्रतिशत सीमा शुल्क लगाने के साथ ही रूस से तेल एवं गैस खरीदने पर दंडात्मक जुर्माना लगाने की भी घोषणा की थी। ट्रंप का यह बयान भारत के इस संकेत के बाद आया है कि वह रूस से तेल की खरीद को जारी रखेगा। ऐसा निर्णय वह किसी के दबाव में नहीं, बल्कि राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए करता है।

इसके पहले भारत पर हमला बोलते हुए ट्रंप के एक शीर्ष सहयोगी ने आरोप लगाया कि वह खुद को दुनिया में अमेरिका के सबसे करीबी दोस्तों में से एक बताता है, लेकिन हम पर भारी शुल्क लगाता है, आव्रजन नीतियों पर ‘धोखा’ देता है और रूसी तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध का वित्तपोषण कर रहा है।

‘व्हाइट हाउस’ के डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ स्टीफन मिलर ने एक साक्षात्कार में कहा कि ट्रंप ने बहुत स्पष्ट रूप से कहा है कि ‘भारत का रूस से तेल खरीदकर इस युद्ध का वित्तपोषण जारी रखना स्वीकार्य नहीं है।’

आखिर क्यों चिढ़े हैं ट्रंप?

ट्रंप इसलिए चिढ़े ट्रंप ने पुतिन को युद्ध समाप्त करने के लिए 10 दिन की डेडलाइन दी थी, वह पास आ रही है, लेकिन रूस की ओर से युद्ध रोकना तो दूर, वार्ता का भी कोई संकेत नहीं है। इसलिए ट्रंप बेबस और गुस्सा हैं। चीन पर दबाव डाला तो उसने क्रिटिकल मिनरल की सप्लाई रोक दी थी, इसलिए भारत पर जोर दिखा रहे हैं।

भारत ने 6 बिन्दुओं में दिया दो-टूक जवाब

1. भारत को रूस-यूक्रेन संघर्ष के प्रारंभ के बाद रूस से तेल आयात करने को लेकर अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा निशाना बनाया गया है। वास्तव में, भारत ने रूस से तेल आयात तब शुरू किया जब पारंपरिक आपूर्तियां संघर्ष के कारण यूरोप की ओर मोड़ दी गई थीं। तब अमेरिका ने स्वयं भारत को ऐसे आयात के लिए प्रोत्साहित किया था ताकि वैश्विक ऊर्जा बाजारों की स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।

2. भारत का यह आयात भारतीय उपभोक्ताओं को किफायती और सुनिश्चित ऊर्जा आपूर्ति उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किया जा रहा है। यह हमारी आवश्यकता है। जो देश भारत की आलोचना कर रहे हैं, वे खुद रूस से व्यापार कर रहे हैं, जबकि यह उनकी मजबूरी नहीं है।

3. वर्ष 2024 में यूरोपीय संघ का रूस से व्यापार 67.5 अरब यूरो तक पहुंच गया था। यह भारत-रूस के कुल व्यापार से कहीं अधिक है।

4. यूरोप-रूस से उर्वरक, खनिज उत्पाद, रसायन, लोहा और इस्पात, मशीनरी भी खरीद रहा।

5. अमेरिका आज भी अपनी परमाणु ऊर्जा हेतु यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, पैलेडियम, साथ ही उर्वरक व रसायन रूस से खरीद रहा।

संबंधित समाचार

No stories found.

कोलकाता सिटी

No stories found.

खेल

No stories found.
logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in