ईटानगर : गुजरात कैंसर एवं अनुसंधान संस्थान (जीसीआरआई), अहमदाबाद के वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. टैडी मरा (30) गुरुवार को एअर इंडिया (ए-आई) विमान दुर्घटना में बाल-बाल बचे। डॉ. मरा अपर सुबनसिरी जिले के लाइमकिंग से हैं और पिछले तीन वर्षों से अस्पताल में सेवा दे रहे हैं। डॉ. मरा ने बताया कि वे जीसीआरआई के स्नातक कैंटीन में अपना लंच कर रहे थे, जहां यह घातक घटना घटी। ड्यूटी शिफ्ट खत्म होने के बाद जब वे लंच कर रहे थे, तब दोपहर के 12:20 बज रहे थे। उन्होंने बताया कि लंच के समय उन्हें एक आपातकालीन कॉल आयी, जिसमें बताया गया कि एक बच्चे को अल्ट्रासाउंड-निर्देशित बायोप्सी की आवश्यकता है।
'हॉस्टल जाने के बारे में सोचा लेकिन नहीं गया'
डॉ. टैडी मरा ने कहा कि मैंने अपने हॉस्टल वापस जाकर नहाने के बारे में सोचा क्योंकि लंच के समय मेरी मेडिकल ड्रेस पर दाग लग गया था लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। मेरे लिए आखिरी चार मिनट बहुत महत्वपूर्ण थे। जब मैं अस्पताल के डेकेयर सेंटर पहुंचा, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी। शुरू में मुझे लगा कि ऑक्सीजन प्लांट फट गया है लेकिन बाद में लोगों से पता चला कि विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। जब मैंने समाचार देखा तो इसकी पुष्टि हुई।
250 मृत लोगों को देखना हमारे लिए आसान अनुभव नहीं था
मुझे घटनास्थल के अंदर जाने की अनुमति दी गयी क्योंकि मैं अस्पताल से था और मुझे मेडिकल एप्रन में देखा गया था। डॉ. मरा ने कहा कि हमारे लिए हताहतों और मृत्यु के मामलों में शामिल होना एक आम बात है लेकिन गुरुवार की घटना ने अस्पताल में मौजूद सभी चिकित्सा बिरादरी को सदमे में डाल दिया है। उन्होंने कहा कि 250 मृत लोगों को देखना हमारे लिए आसान अनुभव नहीं था, हम मानसिक रूप से सदमे में थे और शुक्रवार को शवगृह भरा हुआ था। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन शाम छह बजे तक चला।
डॉ. मरा घटनास्थल से महज 200 मीटर की दूरी पर थे
फिलहाल प्रभावित क्वार्टरों में रहने वाले सभी डॉक्टरों को पुरानी जीसीआरआई बिल्डिंग में शिफ्ट कर दिया गया है। डॉ. मरा घटनास्थल से महज 200 मीटर की दूरी पर थे। वे अरुणाचल प्रदेश के एकमात्र डॉक्टर थे, जो रेजिडेंट डॉक्टर्स क्वार्टर (सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टर्स एरिया) में रह रहे थे, जहां विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ। डॉ. मरा ने बताया कि उनके सहयोगी सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट की मां शुक्रवार से से लापता हैं।
घटना रविवार को हुई होती, तो अधिक लोग हताहत होते
उन्होंने कहा कि अगर यह घटना रविवार को हुई होती, तो अधिक लोग हताहत होते क्योंकि उस दिन हम छुट्टी पर होते हैं। उन्होंने कहा कि यह घटना काम के घंटों के दौरान हुई, जब हममें से ज्यादातर लोग क्वार्टर से बाहर होते हैं। अगर यह रविवार होता, तो हम हताहतों को संभाल नहीं पाते। उन्होंने कहा कि अगर विमान अस्पताल में ही दुर्घटनाग्रस्त हो जाता, जो क्वार्टर और छात्रावास से सिर्फ 20 मीटर की दूरी पर है, तो यह विनाशकारी होता। इस त्रासदी ने पूरे देश में शोक की लहर पैदा कर दी है और दुर्घटना के कारणों की गहन जांच की मांग की है। अस्पताल के चार प्रशिक्षु डॉक्टरों की मौत की पुष्टि हुई है और छह से अधिक डॉक्टरों के मारे जाने की खबर है।