मुझे कोलकाता से बेहद प्यार है : डॉ. शशि थरूर

भारत कुछ चुनिंदा लोकतंत्रों में से एक जहां वैवाहिक बलात्कार को नजरअंदाज किया जाता है : शशि थरूर
प्रभा खेतान फाउंडेशन एवं संस्कृति सागर व फिक्की फ्लो कोलकाता के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. शशि थरूर, शोभा थरूर और स्मिता थरूर, अंजना मेनन व अन्य
प्रभा खेतान फाउंडेशन एवं संस्कृति सागर व फिक्की फ्लो कोलकाता के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. शशि थरूर, शोभा थरूर और स्मिता थरूर, अंजना मेनन व अन्य
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सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : वरिष्ठ कांग्रेस नेता, सांसद और पूर्व राजनयिक डॉ. शशि थरूर ने गुरुवार को कोलकाता में टेटे ए टी विथ थरूर्स कार्यक्रम में शिरकत कीं। सिटी ऑफ जाॅय कोलकाता के प्रति अपने प्रेम को उन्होंने बखूबी बताया। उन्होंने कहा कि कोलकाता से उन्हें बेहद ही प्यार है। यहां आना अच्छा लगता है। मीडिया से बातचीत करते हुए शशि थरूर ने कहा कि कोलकाता वापस आना अद्भुत है, मैंने अपने हाई स्कूल के वर्ष यहीं बिताए हैं। जमाई होने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वास्तव में इस शहर से गहरा जुड़ाव है।

वैवाहिक बलात्कार को “वैवाहिक अधिकार” मान लेना गलत

प्रभा खेतान फाउंडेशन और फिक्की फ्लो कोलकाता व संस्कृति सागर द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए थरूर ने कहा, “मैं यह सुनकर हैरान हूं कि पति द्वारा पत्नी के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध संबंध बनाने के मामले को वह गंभीरता नहीं दी जाती जिसकी जरूरत है।” एक कॉलेज छात्रा के सवाल के जवाब में थरूर ने कहा कि वैवाहिक बलात्कार को “वैवाहिक अधिकार” मान लेना गलत है। “यह वैवाहिक प्रेम का हिस्सा नहीं—यह हिंसा है।” इसके बाद पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा।

युवा छात्रों काे दी यह सलाह

अमेरिका और यूरोप में भारतीयों व प्रवासियों के प्रति बढ़ती नफरत पर उन्होंने कहा कि शत्रुता अब अधिक दिखाई देने लगी है—खुले तौर पर। उन्होंने कहा कि प्रवासियों के प्रति भय (ज़ेनोफोबिया) केवल पश्चिम में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में बढ़ रहा है। युवा छात्रों को सलाह देते हुए उन्होंने कहा, “ज्ञान हासिल करें और फिर वापस लौटे। आपके शहर और देश को आपकी ज़रूरत है।”थरूर ने कहा कि राजनीति में स्वयं के मूल्यों और सिद्धांतों पर अडिग रहना जरूरी है। खुद की अंग्रेजी शैली पर पूछे गए प्रश्न पर उन्होंने हंसते हुए कहा, “मैं ऐसा संवादकर्ता बनना चाहता हूं जिसे लोग समझ सकें।” घर में कूटनीतिक शैली अपनाने के सवाल पर उन्होंने मजाक में कहा, “घर पर मैं इतना डिप्लोमैट नहीं होता,” और बताया कि निजी माहौल में सार्वजनिक सीमाओं का दबाव नहीं होता।

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