नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने देश में ऑनलाइन धोखाधड़ी की बढ़ती घटनाओं, विशेषकर फर्जी न्यायिक आदेशों के माध्यम से नागरिकों को ‘डिजिटल अरेस्ट’ करने के मामलों का संज्ञान लेते हुए शुक्रवार कोइस संदर्भ में केंद्र और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जवाब मांगा और कहा कि इस तरह के अपराध न्याय प्रणाली में जनता के विश्वास की नींव पर कुठाराघात हैं।
कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए दर्ज किये मामले
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची के पीठ ने हरियाणा के अंबाला में अदालत और जांच एजेंसियों के फर्जी आदेशों के आधार पर एक बुजुर्ग दंपति को ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर उनसे 1.05 करोड़ रुपये की उगाही की घटना को गंभीरता से लिया है। पीठ ने कहा कि यह साधारण अपराध नहीं है जिसमें पुलिस से कह दिया जाये कि तेजी से जांच करे और मामले को तार्किक परिणति तक पहुंचाए। यह ऐसा मामला है जिसमें आपराधिक उपक्रम का पूरी तरह पर्दाफाश करने के लिए केंद्र और राज्य पुलिस के बीच समन्वित प्रयास जरूरी हैं।
कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए दर्ज किया मामला
पीठ ने शुक्रवार को देश भर में डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई और 73 वर्षीय महिला द्वारा 21 सितंबर को भारत के प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई को लिखे पत्र पर स्वतः संज्ञान लेते हुए दर्ज किये गये मामले में केंद्र और सीबीआई से जवाब मांगा। पत्र में सूचित किया गया था कि दंपति को अदालत के आदेशों का भय दिखाकर ठगा गया।
क्या है ‘डिजिटल अरेस्ट’?
पीठ ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों सहित निर्दोष लोगों को डिजिटल अरेस्ट करने के लिए सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के आदेशों और न्यायाधीशों के हस्ताक्षरों की जालसाजी करना न्यायिक संस्थाओं में लोगों के विश्वास और आस्था पर कुठाराघात है। ‘डिजिटल अरेस्ट’ ऑनलाइन धोखाधड़ी है, जिसमें जालसाज खुद को फर्जी तरीके से किसी सरकारी एजेंसी या पुलिस का अधिकारी बताकर लोगों पर कानून तोड़ने का आरोप लगाते हुए उन्हें धमकाते हैं और गलत तरह से धन वसूली की कोशिश करते हैं।
कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से सहायता मांगी
पीठ ने अटॉर्नी जनरल से सहायता मांगी और हरियाणा सरकार तथा अंबाला साइबर अपराध विभाग को बुजुर्ग दंपति के मामले में अब तक की गयी जांच पर एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। यह मामला शिकायती महिला द्वारा अदालत के संज्ञान में लाया गया था, जिन्होंने आरोप लगाया था कि घोटालेबाजों ने 3 से 16 सितंबर के बीच दंपति की गिरफ्तारी और निगरानी की बात करने वाला स्टाम्प और मुहर लगा एक जाली अदालती आदेश पेश किया और कई बैंक लेनदेन के माध्यम से एक करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की। महिला ने कहा कि उन्हें गिरफ्तार करने की धमकी देते हुए फर्जी तरीके से सीबीआई और ईडी अधिकारी बनकर कुछ लोगों ने कई ऑडियो और वीडियो कॉल के जरिए अदालती आदेश दिखाये।