कोलकाता: भगवान जगन्नाथ की उल्टारथ यात्रा के दिन शनिवार को दीघा एक बार फिर जनसागर में डूब गया। सुबह से ही रेल और सड़क मार्ग से हजारों श्रद्धालु दीघा पहुंचने लगे। दोपहर 12:30 बजे मासिर बाड़ी (गुंडिचा मंदिर) में 56 भोग अर्पण के बाद कुछ देर तक भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा विश्राम करते हैं। दोपहर 2:15 बजे सबसे पहले सुदर्शन चक्र को रथ पर स्थापित किया गया, उसके बाद सेवायतों के हाथों भगवानों की मूर्तियाँ राष्ट्रीय राजमार्ग पर खड़े रथ तक ले जाई गईं। वहां पारंपरिक पूजा और आरती के बाद मूर्तियों को रथ पर स्थापित किया गया। मासिर बाड़ी में भक्तों के लिए अन्नप्रसाद की भी व्यवस्था की गई थी। रथ पर भगवान के स्थापित होते ही पूरे राजमार्ग पर भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। सड़क के दोनों किनारों पर लंबी कतारें लग गयीं। हर आंख रथ पर टिकी थी कि कब रथ का पहिया चलेगा! अंततः शाम 4 बजे मंदिर ट्रस्ट बोर्ड के सदस्य राधारमण दास ने स्वर्ण झाड़ू से मार्ग शुद्ध कर रथ यात्रा का शुभारंभ किया। शाम 6 बजे तीनों देव मंदिर के मुख्य द्वार तक पहुंचे। पुरुलिया, बर्दवान, मुर्शिदाबाद, मालदा और नदिया से हजारों श्रद्धालु इस अवसर पर दीघा पहुंचे। भक्तों की भीड़ से होटल व्यवसायी और दुकानदारों के चेहरे पर भी रौनक लौट आयी। इस अवसर पर सीएस मनोज पंत, डीजीपी राजीव कुमार सहित सभी पांच मंत्री मौजूद थे। वही, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कोलकाता से लगातार स्थिति पर नजर रख रही हैं।