सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : रवीन्द्र सरोवर एक ऐसी जगह है जहां बॉलीवुड व टॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग होती है और फिल्मी सितारों का जमावड़ा लगता है, वहां की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। यहां फैली गंदगी उसकी सुंदरता को नष्ट कर रही है। यहां सरोवर में आपको प्लास्टिक की बोतलें, ब्रेड के टुकड़े, पॉलिथीन बैग्स और चिप्स के पैकेट जल में तैरते मिल जाएंगे। इसका कारण यहां नियमित साफ सफाई नहीं होना बताया जा रहा है। बारिश की शुरुआत होने के साथ यही कचरा लोगों के लिए खतरा बना हुआ है। ऐसे में स्वच्छ शहर का सपना कैसे साकार होगा। प्रशासन द्वारा साफ-सफाई तो की जा रहा है, लेकिन सरोवर की गंदगी दूर नहीं हो रही है। बता दें कि जलाशय में काफी जलकुंभी भर गयी है जिसके कारण आए दिन मछलियों के मरने की घटनाएं सामने आती रहती हैं। ऐसे में सन्मार्ग की एक टीम ने यहां का दौरा कर सरोवर की स्थिति का जायजा लिया।
छठ पर रोक लगाने के बावजूद फैली है गंदगी
गंदगी का हवाला देते हुए एक तरफ जहां हाई कोर्ट ने हिंदी भाषियों के महापर्व छठ पर रोक लगा दी थी वहां अब भी स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। इसके बावजूद पानी में विभिन्न प्रकार की गंदगी फैली हुई हैं। इसे लेकर कुछ लोगों का कहना है कि यहां आने वाले लोग पानी में प्लास्टिक की बोतलें, पॉलिथीन बैग्स व अन्य गंदगी फेंकते रहते हैं जिसके कारण एक तरफ शहर की सुंदरता नष्ट हो रही हैं वहीं दूसरी ओर सरोवर में प्रदूषण फैल रहा है। उनका कहना है कि जिन पर जिम्मेदारी है उन्हें इसके लिए वेतन भी दिया जाता है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि रवीन्द्र सरोवर की इस हालात के लिए जिम्मेदार लोगों पर क्या कार्रवाई की जाएगी।
केएमडीए पर है रखरखाव की जिम्मेदारी, फिर चूक कहां होती है
रवीन्द्र सरोवर आए अमित साव का कहना है कि मैं यहां पिछले 12 साल आ रहा हूं, लेकिन कभी भी सरोवर को साफ नहीं देखा। सरोवर कभी प्लास्टिक की बोतलों और पॉलिथीन बैग्स तो कभी जलकुंभी से भरा रहता है। उनका कहना है कि केएमडीए पर रखरखाव की जिम्मेदारी है तो फिर चूक कहां से होती है। वहीं सुबह की सैर करने वालों की शिकायत है कि कुछ दिन पहले मरी हुई मछलियां पानी में तैरती हुई देखी गई थीं। उनमें से कुछ के शरीर पर प्लास्टिक लिपटा हुआ था। सरोवर में जिस तरह से रखरखाव और निगरानी की जाती है, उसके बावजूद पानी में प्लास्टिक या पॉलिथीन बैग कहां से आते हैं, यह सवाल अब भी अनुत्तरित है।